पंकज श्रीवास्तव/पटना। राजद ने ट्विटर पर तस्वीरें शेयर करते हुए दावा किया, ‘अभी-अभी बिहार के सारण और महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र स्ट्रॉन्ग रूम के आस-पास मंडरा रही EVM से भरी एक गाड़ी जो शायद अंदर घुसने की फिराक में थी उसे आरजेडी-कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पकड़ा। साथ मे सदर BDO भी थे, जिनके पास कोई जबाब नही है। सवाल उठना लाजिमी है? छपरा प्रशासन का कैसा खेल?’
इस खबर के बाद सोशल मीडिया पर भूचाल आ गया आम लोगों की कौन कहे पत्रकारों ने पोस्ट लिखकर प्रशासन की नियत पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया। खबर के सत्यापन के लिए सुरभि सलोनी बिहार ब्यूरो ने छपरा के जिलाधिकारी सह निर्वाचन पदाधिकारी को उनके मोबाइल पर फोन किया तो उन्होंने बताया कि खबर सही है राजद और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने मशीन से लदी गाड़ी को रामनगर ढाला पर पकड़ा था। दरअसल ये मशीनों ने मतगणना ट्रेनिंग के लिए इन पूरी कानूनी प्रक्रिया के बाद प्रशिक्षण स्थल तक भेजी गयी थी। जो चुनाव आयोग की जरुरी रुटीन है इसके लिए नियम निर्धारित हैं। मतलब प्रत्याशियों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में उनके हस्ताक्षर के बाद भेजा जाता है। उल्लेखनीय है कि 20 मई और 21 मई को प्रशिक्षण आयोग ने अपने वर्कशाप निर्धारित कर रखा था।निर्वाचन आयोग ने छपरा में अपने 2 वर्कशाप बना रखें हैं पहला वेयर हाउस और दूसरा छपरा इंजीनियरिग काँलेज। वेयर हाउस से मतगणना कर्मियों को ट्रेनिंग देकर ये मशीन वापस आ रही थी, जिसे राजद-कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने घेर लिया। बाद में उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की क्योकि नियानुसार ईवीएम को ट्रेनिंग स्थल भेजने के पूर्व वहाँ के राजद प्रत्याशी चंद्रिका राय के प्रतिनिधि का हस्ताक्षर था। छपरा जिलाधिकारी ने अपनी बात को साबित करने के लिए व्हाट्सअप पर जो राजिष्टर की फोटो भेजा वो हमारे पाठकों के सामने है।
ईवीएम से भरी गाड़ी पकड़ी, विपक्ष नर साधा निशाना, आयोग ने बताई वजह
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