मुंबई। दादर में शासन श्री साध्वी कैलाशवती के सानिध्य में प्रेक्षा प्रणेता आचार्य महाप्रज्ञजी का 10वा महाप्रयाण दिवस मनाया गया। साध्वी श्री जी ने जनता को संबोधित करते हुए कहा महापुरषो का जीवन खुली किताब की तरह होता हैं। गुरुदेव महाप्रज्ञ जी के बचपन का संस्मरण सुनाते हुए साध्वीजी ने फरमाया उनके भीतर विवेक का दीपक जलता था। करुणा का बहता दरिया था ।आचार्य मजप्रज्ञ जी का जीवन बचपन में कुछ बच्चों के साथ खेल रहे थे। एक बच्चे के चोट लगी रक्त बहने लगा सभी बालक भाग गए लेकिन बालक नत्थू सोचने लगा ये कहा जायेग?इसको दर्द हो रहा हैं क्या ? करुणा का स्रोत बहने लगा ,बालक नत्थू उस बच्चे को अपनी माँ के पास लाये और पट्टी करवाई। ये थी उनकी करुणा इसलिये मानव मशीहा कहलाये। उनका उदेश्य था “रहो भीतर जिओ बाहर”।
दादर महिला मंडल के द्वारा महाप्रज्ञ अष्टकम से कार्यक्रम का मंगलाचरण किया गया।तेरापंथ सभा के अध्यक्ष अशोक जी मेहता ने अपने विचार रखते हुए वर्षभर संकल्प करने की भावना प्रस्तुत की। महिला मंडल की सयोजिक दीपिका जी बोहरा ,सहस्योजिका मंजु जी मारु ने बहुत सुन्दर गीतिका के द्वारा श्रद्धांजलि भेट की गई। साध्वी ललिता श्री जी ने मोनव्रत के द्वारा गुरुचरणों में श्रद्धांजलि अर्पित की। आज के दिन साध्वियो ने उपवास करके गुरु गुणवाद करके बहुत उत्साह से पुण्यतिथि मनाई। कुशल संचालन करते हुए साध्वी पंकज श्री जी ने तेरापंथ के दसवे अधिशास्ता के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी अनेक रूप थे साहित्यकार दार्शनिक, अधिशास्ता , शिष्य ,गुरु, आचार्य,कवि,वैज्ञानिक।
भायखला के श्रावक भी इस मौके पर उपस्थित रहे और साध्वी श्री जी को पधारने का निवेदन किया । साध्वी शारदा प्रभाजी ने कहा आपका जीवन सहज, सरलता ,विनय, समर्पण का दस्तावेज था। अनेकांत के पुजारी थे महाप्रज्ञजी । आपके अमल चिंतन का नवनीत है, प्रेक्षाध्यान , जीवनविज्ञान।
दादर में मनाया गया “महाप्रज्ञ जी का 10वा महाप्रयाण दिवस”
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