आदित्य तिक्कू।।
चुनाव ने दस्तक दे दी है, कृपया नई लोक-लुभावन योजनाओं वह नई पैकिंग में पुरानी योजनाओं के लिए तैयार व सतर्क हो जाइये। चुनावी फेस्टिवल में कोई भी पार्टी आप को जुमलों और वादों के चक्रव्यूह में फंसा सकती है।
बीजेपी की ओर से किसानों को 6,000 रुपये साल का ऐलान हुआ उसे समझ पाते कि इसका देश की आर्थिक स्थिती पर क्या असर पड़ेगा कि पहली किस्त खाते में आ गयी। अब बाकी की किस्त चाहिए तो बीजेपी को जिताइये। इसी कड़ी में जनता के लिए कांग्रेस ने भविष्य योजना का एलान कर दिया है। अब जिसकी योजना आप को लुभाये उसे जितायें सोच समझकर कही यह योजनाए कल आपको रुलाएं नहीं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि 20 फीसदी गरीब परिवारों को हर साल 72 हजार रुपये देगें। जिस परिवार की आमदनी 12 हजार रुपये महीना से कम है, उनके खाते में सालाना 72 हजार रुपये भेजे जाएंगे।
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस न्यूनतम आय योजना शुरू करेगी। कांग्रेस गरीबों को न्याय देगी। 20 प्रतिशत सबसे गरीब परिवारों को, कांग्रेस सरकार हर साल 72 हजार रूपये देगी। जिस परिवार की आय 12 हजार से कम है, उसे इस योजना का फायदा मिलेगा। धीरे-धीरे हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में कामयाबी हासिल करेंगे। योजना का एक और आकर्षण है कि 72000 हजार रुपये परिवार की गृहणी के खाते में डाले जाएंगे।
गरीबी हटाने की अतुलनीय मुहीम देश के लिए नयी नहीं है। इंदिरा गांधी 1971 में गरीबी हटाओ जैसा लोकलुभावन नारा दे चुकी हैं। उस समय बाल ठाकरे द्वारा बनाया गया कार्टून काफी प्रसिद्ध हुआ था। बाल ठाकरे ने अपनी पत्रिका मार्मिक के फ्रंट पेज पर यह कार्टून बनाया था जिसमें इंदिरा गांधी हाथी पर बैठी है और हाथी के बगल में लिखा है कि बादशाह दौरे पर आ रहा है इसलिए गरीबी हटाओ और सारे गरीबों को सडक़ के किनारे छुपा हुआ दिखाया था। अथार्त बाल ठाकरे यह कहना चाहते थे कि दरअसल इंदिरा गांधी गरीबी नहीं बल्कि गरीबों को हटाना चाहती थी, आज तकऱीबन 5 दशकों बाद भी देश की सभी पार्टिया गरीबी हटाओ के नाम पर राजनीति कर रही हैं। यह एक तरह का व्यवसाय प्रतीत होता है। जिसमें भूख और मज़बूरी का सौदा करके राजनैतिक व्यवसाय होता है। इससे भी दुखद है कि अब हमें एहसास भी नहीं होता कि हम ठगे जा रहे हैं राजनेतिक दलों द्वारा। सोचिये …कोशिश तो कीजिये … कही हम भेड़ -बकरी की एक प्रजाति में ना आ जायें।