नई दिल्ली:चुनाव के ऐलान के साथ कांग्रेस ने चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। अहमदाबाद में मंगलवार को होने वाली कार्यसमिति की बैठक में पार्टी को इतिहास के सबसे कठिन दौर से निकलने की रणनीति पर चर्चा होगी। पार्टी के सामने खुद को विकल्प के तौर पर पेश करने की चुनौती है। वैसे हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में सरकार बनाने के बाद लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के हौसले बुलंद हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले कांग्रेस की स्थिति बदली हुई है। कांग्रेस के खिलाफ पांच साल पहले जैसा माहौल नहीं है। वह विपक्ष में है और भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और कृषि संकट के मुद्दे पर सरकार से सवाल कर रही है। ऐसे में पार्टी को चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है। वर्ष 2014 के चुनाव में शहरी और ग्रामीण मतदाताओं ने कांग्रेस को छोड़ दिया था। लेकिन तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों और लोकसभा के उपचुनावों में जीत से साफ है कि ग्रामीण मतदाता कांग्रेस की ओर वापस लौटे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए कांग्रेस कर्ज माफी का वादा करती रही है। वहीं, लोकसभा चुनाव में न्यूनतम आमदनी योजना के जरिये पार्टी ने ग्रामीण मतदाताओं के साथ शहरी गरीबों में भी भरोसा जगाने की कोशिश की है।
अध्यक्ष के तौर पर पहला आम चुनाव
राहुल गांधी के लिए भी पार्टी अध्यक्ष के तौर पर यह पहला लोकसभा चुनाव है और उनके सामने खुद को साबित करने की चुनौती है। पिछले पांच साल में राहुल ने अपनी छवि बदली है। कई राज्यों के चुनावों में हार के बावजूद वह मैदान में डटे रहे। अध्यक्ष के रूप में पार्टी पर पकड़ मजबूत करने के साथ उन्होंने खुद को आक्रामक, स्पष्ट और तर्कशील नेता के तौर पर पेश किया है। गुजरात विधानसभा चुनाव राहुल के लिए निर्णायक मोड़ साबित हुआ। कर्नाटक में हारी बाजी पलटकर जेडीएस के साथ गठबंधन सरकार बनाने और तीन राज्यों की जीत से उत्साहित राहुल केंद्र सरकार पर लगातार आक्रामक हमले कर रहे हैं।
गुजरात में भाजपा के किले में सेंध लगाने की कोशिश
गुजरात विधानसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद कांग्रेस की कोशिश है कि वह राज्य में भाजपा से कुछ सीट छीन पाए। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और वहां भाजपा पिछली बार की तरह सभी सीट नहीं जीत पाएगी। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी वाड्रा को जिम्मेदारी देने के बाद कांग्रेस की स्थिति सुधरी है। ऐसे में कांग्रेस मान रही है कि लोकसभा चुनाव में वह खुद को पुनर्जीवित कर पाएगी।