भारतीय का एक मिग-21 विमान बुधवार को गुलाम कश्मीर में क्रैश हो गया था। इस विमान के पायलट और भारतीय वायु सेना के विंग कंमाडर अभिनंदन वर्तमान को पाकिस्तान ने गिरफ्तार कर लिया था। भारतीय पायलट अभिनंदन की जो शुरुआती वीडियो पाकिस्तान से आए हैं, उनमें वो ज़ख़्मी दिख रहे हैं। उनके चेहरे पर रक्त फैला हुआ है। एक वीडियो में अभिनंदन को कुछ लोग पीटते हुए दिख रहे हैं। एक अन्य वीडियो में अभिनंदन की आंखों पर पट्टी है। भारत सरकार ने पाकिस्तान से इन पायलट को वापस करने की मांग के साथ उसके इस कृत्य की सख्त लहजों में भर्त्सना की है। भारत का तर्क है कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय कानून का सरासर उल्लंघन किया है। आइए जानते हैं उस अंतरराष्ट्रीय कानून के बारे में जिसका पाकिस्तान ने उल्लंघन किया है। इस कानून के तहत ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी गुहार लगाई है और अपनी शिकायत दर्ज की है।
1864 में पहली बार युद्धबंदियों के हक को लेकर उठी आवाज
जी हां, युद्धबंदियों के लिए भी बाकायादे एक अंतरराष्ट्रीय कानून है। पहली बार 1864 दुनिया के कुछ मुल्कों ने युद्धबंदियों के अधिकारों को लेकर एक करार किया। इस संधि को मानवता के लिए जरूरी कदम बताया गया। इसे जेनेवा संघि (Geneva Convention) कहते हैं। इसके बाद 1906 और 1929 में क्रमश: दूसरी और तीसरी संघि हुई। दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने जेनेवा संधि पर हस्ताक्षर किए। यह चौथी संधि थी। इस तरह से जेनेवा समझौते में अब तक चार संधियां और तीन मसौदे शामिल है।
युद्धग्रस्त देशों के लिए जेनेवा संधि एक अंतरराष्ट्रीय आचार सहिंता
जेनेवा संधि युद्ध के दौरान युद्धग्रस्त देशों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय आचार सहिंता की तरह काम करता है। इस समझौते में युद्धबंदियों के अधिकारों का उल्लेख किया गया है। गिरफ्तार सैनिकों के साथ कैसा बर्ताव करना है, इसको लेकर एक स्पष्ट दिशा निर्देश दिए गए हैं। जेनेवा संधि के अनुच्छेद-3 के मुताबिक युद्ध के दौरान घायल युद्धबंदियों का उपचार कराने का स्पष्ट निदेश है। युद्ध के बाद युद्धबंदियों को वापस लैटाना होता है। कोई भी देश युद्धबंदियों को लेकर जनता में उत्सुकता पैदा नहीं कर सकता।
युद्धबंदियों से सिर्फ उनके नाम, सैन्य पद, नंबर और यूनिट के बारे में पूछा जा सकता है। इस संधि के तहत युद्धबंदियों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार पर रोक लगाई गई है। युद्धबंदियों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव पर रोक लगाई गई। इसके साथ ही युद्ध में बंदी सैनिकों के लिए कानूनी सुविधा भी मुहैया करानी होगी। इस संधि के तहत युद्धबंदियों को किसी तरह से धमकाए जाने पर रोक है। उन्हें अपमानित नहीं किया जा सकता। इस संधि के मुताबिक युद्धबंदियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
क्या है जेनेवा संधि
- युद्ध के दौरान जेनेवा संधि देशों के लिए एक आचार सहिंता की तरह कार्य करती है।
- इसके तहत संधि के तहत घायल सैनिक की उचित देखरेख की जाती है।
- संधि के तहत युद्धबंदी बनाए गए सैनिकों के खान-पान का पूरा ध्यान रखा जाता है।
- युद्धबंदी को सभी जरूरी चीजें मुहैया कराई जाती है।
- किसी भी युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव करना जेनेवा संधि का उल्लंघन माना जाएगा।
- बंदी बनाए गए सैनिक को डराया या धमकाया नहीं जा सकता।
- युद्धबंदी की जाति, धर्म, जन्म आदि बातों के बारे में नहीं पूछा जाता।
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