पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की रणनीति पुलवामा हमले (Pulwama Attack) के बाद ही बन गई थी। वायुसेना ने दस दिन की तैयारी के बाद मंगलवार तड़के बालाकोट, मुजफ्फराबाद और चकोटी में बम बरसाकर जैश ए मोहम्मद के सबसे बड़े अड्डे साफ कर दिए।
सूत्रों की मानें तो कई वजहों से बालाकोट को निशाना बनाया गया। आतंकियों का सबसे बड़ा कैंप होने के अलावा इस कैंप की लोकेशन एलओसी से आगे पाकिस्तान सीमा में थी। यानी आतंकवाद पर कार्रवाई का कड़ा और स्पष्ट संकेत देना था। यहां करीब 300 आतंकियों की मौजूदगी की खबर थी। बालाकोट पाकिस्तान के सबसे बड़े आतंकी कैंप में शामिल था।
यहां करीब तीन सौ आतंकियों को हर वक्त प्रशिक्षण के लिए रखा जाता था। इस कैंप को मौलाना मसूद अजहर के दिल के करीब बताया जाता था। आईएसआई और पाक सेना के अधिकारियों के संरक्षण में इस आतंकी कैंप को जैश के टॉप कमांडर चलाते थे। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार पुलवामा हमले की साजिश भी यहीं से बैठकर रची गई थी।
संचालन मसूद का साला करता था
इस खतरनाक आतंकी प्रशिक्षण शिविर की जिम्मेदारी मसूद अजहर ने अपने साले यूसुफ अजहर को दी थी। उसे जैश का नंबर दो माना जाता था। उसपर 1999 में विमान हाईजैक करने का भी आरोप था। खुद मसूद अजहर इस कैंप में बराबर आता था। हाफिज सईद की सक्रियता भी कई बार इस इलाके में देखी गई।
इन 7 लोगों को पता था एयरस्ट्राइक के बारे में
भारत ने पुलवामा हमले के 12 दिन बाद मंगलवार को सुबह 3.40 और 3.53 के बीच जैश ए मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर हमला किया। 18 फरवरी को एयरस्ट्राइक की मंजूरी पीएम मोदी ने दी थी। इंटेलीजेंस ऑफिसर ने हमारे सहयोगी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि इस हमले की जानकारी पीएम मोदी, अजित डोभाल, तीन सर्विस चीफ और रॉ और इंटेलीजेंसी ब्यूरो के हेड को इसकी जानकारी थी।