मुंबई। शांति दूत महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी शिष्या शासनश्री साध्वी सोमलताजी व साध्वीवृंद के पावन सानिध्य में ज्ञानशाला के कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुभ शुरुआत अर्हम अर्हम की वंदना इस गीत द्वारा हुई तत्पश्चात ज्ञानशाला के बच्चों ने योगासन करके व उसके लाभ बताए।
इस अवसर पर शासनश्री साध्वी सोमलताजी ने सरलशैली में नौनिहाल नन्हें मुन्नों बच्चों को प्रतिबोध देते हुए कहा प्रत्येक ज्ञानार्थी को अच्छा इंसान बनकर परिवार समाज और राष्ट्र की प्रगति में योगदान देना चाहिए विनम्रता सहिष्णुता व सेवा भावना का कवच पहनकर जन कल्याण के साथ आत्मकल्याण करना चाहिए। साध्वीश्रीजी नें बच्चों को चोरी नहीं करना,ग़ुस्सा नहीं करना व पापों से बचने का संकल्प करवाया। ज्ञानशाला रुपी उद्यान के रंग-बिरंगे ने पुष्पों ने नवीन शैली में ज्ञान रूपी रस का अमृत पान कैसे किया इस पर अपनी रोचक, आकर्षक प्रस्तुती देकर सबके मन को मोहित किया। सभी ज्ञानार्थी बच्चों के साथ प्रशिक्षीका बहनों की गरिमामयी उपस्थिती रही।
ज्ञानशाला में करे अमृतरस का पानः शासनश्री साध्वी सोमलताजी
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