एक फरवरी को मोदी सरकार का अंतरिम बजट पेश होना है लेकिन आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि जिस बजट को लेकर देश भर में इतनी चर्चा होती है देश के संविधान में उस शब्द का कहीं उल्लेख नहीं किया गया है। दरअसल संविधान में ऐसा कहा गया है कि सरकार हर साल संसद के समक्ष अपना ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ पेश करेगी। इसे ही लोकप्रिय भाषा में बजट कहा जाता है।
सालाना वित्तीय विवरण हर साल रखना जरूरी
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत केंद्र सरकार को हर साल संसद के दोनों सदनों के समक्ष सालाना वित्तीय विवरण रखना चाहिए। वार्षिक वित्तीय विवरण में तीन अलग अलग भागों में सरकार की आमदनी और खर्च का ब्यौरा होता है। ये तीन हैं: (1) भारत की संचित निधि (2) भारत की आपात निधि (3) लोक लेखा। वैसे संसद के वित्तीय कामकाज में मुख्यतौर पर आम बजट, अनुदान की मांगें, लेखानुदान, अनुदान की पूरक मांगें, विनियोग विधेयक और वित्त विधेयक हैं।
कहां से आया बजट शब्द
चूंकि, ब्रिटिश संसद को सभी संसदों और संसदीय परंपराओं की जननी माना जाता है, इसलिए ‘बजट’ शब्द भी इसका अपवाद नहीं है। दरअसल, 1733 में जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री (चांसलर ऑफ एक्सचेकर) रॉबर्ट वॉलपोल संसद में देश की माली हालत का लेखाजोखा पेश करने आए, तो अपना भाषण और उससे संबद्ध दस्तावेज चमड़े के एक बैग (थैले) में रखकर लाए। चमड़े के बैग को फ्रेंच भाषा में बुजेट कहा जाता है। बस, इसीलिए इस परंपरा को पहले बुजेट और फिर कालांतर में बजट कहा जाने लगा।