नई दिल्ली:देश के अलग-अलग हिस्सों में कट्टरपंथ का प्रसार करने के लिए आतंकी समूह करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं। जांच एजेंसी एनआईए को एफआईएफ और आईएस प्रेरित आतंकी समूह हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम मामले में पकड़े गए लोगों से एक बात साझा मिली है कि कट्टरपंथ को आतंकी समूह अपनी ताकत बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मदरसों, धार्मिक स्थानों के अलावा आधुनिक संचार माध्यमों, ऑनलाइन माध्यमों का उपयोग कर कट्टरता के बीज बोए जा रहे हैं। जांच एजेंसी का मानना है कि कट्टरपंथी विचारधारा का प्रसार करने के बाद युवाओं को आतंकवाद के फेर में उलझाना आसान हो जाता है। जांच एजेंसी की नजर मस्जिद, मदरसों के नाम पर विदेशों से आने वाले पैसे पर है।
कई राज्यों में असर
एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने कहा कि कट्टरपंथ बड़ी चुनौती बन रहा है। यूपी, बिहार, राजस्थान, केरल, जम्मू कश्मीर तक अलग-अलग मामलों में पकड़े गए लोगों से यह इनपुट पुख्ता तौर पर मिला है कि कट्टरता के लिए आतंकी समूह फंडिंग कर रहे हैं। हवाला के जरिए पहुंचाई जा रही धनराशि का मकसद यह है कि युवाओं को कट्टरपंथ में झोंककर उन्हें जेहाद और इस्लामिक देश के नाम पर आतंकवाद के लिए प्रेरित किया जाए। युवाओं को कट्टरपंथ से जुड़े साहित्य बांटकर, वीडियो दिखाकर, धार्मिक शिक्षा के नाम पर और सोशल मीडिया पर ब्रेनवाश करके गुमराह किया जा रहा है।
अलग-अलग तरीके से प्रसार
एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने कहा कि पिछले एक दो साल में कश्मीर में वहाबी विचारधारा जबरदस्त तरीके से अपना असर दिखा रही है। सऊदी अरब से कट्टरपंथी मौलवी यहां आए हैं। मस्जिदों में कट्टरपंथी शिक्षा दी जा रही है। इसी तरह पश्चिमी उत्तरप्रदेश के कई इलाकों में मदरसे व मस्जिदों को कट्टरपंथ का अड्डा बनाने की कोशिश हुई है। केरल में आईएस के नाम पर कट्टरता का प्रसार करने की कोशिश तेज हुई है। फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के आतंकी फंडिंग मामले में जयपुर से पकड़े गए मोलानी से भी खुलासा हुआ कि कट्टरता के लिए बड़े पैमाने पर पैसा खर्च किया जा रहा है। इसी आईएस प्रेरित समूह हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम में पकड़े गए कई युवा कट्टरपंथ के असर से आतंकी समूह से जुड़ने को तैयार हुए।
ऑनलाइन माध्यमों पर निगरानी
जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने कहा कि इस नए खतरे से निपटने के लिए इसको कायदे से चिह्नित करने की भी जरूरत है। धार्मिक संस्थानों के अलावा ऑनलाइन स्रोत पर निगरानी की जा रही है। कारण, एक चलन यह भी देखने में आया है कि कट्टरता से प्रभावित संदिग्ध छद्म नामों से सोशल मीडिया पर अपना जाल फैलाने का प्रयास करते हैं। कई कट्टरपंथी सोशल मीडिया पर अपनी गतिविधियों की वजह से एजेंसी की गिरफ्त में आए हैं।