नई दिल्ली:अगर स्वच्छ समझकर आईएसआई मार्का बोतलबंद पानी खरीद रहे हैं तो आपका फैसला गलत भी हो सकता है। दरअसल साफ दिखने वाली बोतल और उस पर दर्ज मार्का स्वच्छ पानी की गारंटी नहीं है। पूरे देश में सैकड़ों ऐसे मामले आए हैं, जिनमें कई कंपनियों की बोतलबंद पानी की गुणवत्ता खराब या तय पैमानों के अनुरूप नहीं पाई गई है।
उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक साल में बोतलबंद पानी के मामलों में दोगुना वृद्धि हुई है। खराब पानी को बोतल में बंद कर बेचने वाली कंपनियों के खिलाफ सजा और जुर्माना में तीन गुणा से अधिक इजाफा हुआ है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि आईएसआई मार्का के फर्जी इस्तेमाल की शिकायतों में भी काफी वृद्धि हुई है।
मंत्रालय के मुताबिक, वर्ष 2017-18 के दौरान देशभर से बोतलबंद पानी के 1,123 नमूने लिए गए थे। इनमें से 45 फीसदी नमूने तय मानकों पर खरे नहीं उतरे। जबकि एक साल पहले तक यह आंकड़ा 30 फीसदी था। वर्ष 2016-17 के मुकाबले पिछले साल करीब दोगुना अधिक कंपनियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे।
मामले दर्ज
पिछले साल अर्थात 2017-18 में देशभर से लिए गए 1,123 नमूनों में से 496 नमूने गुणवत्ता के पैमाने पर खरे नहीं उतरे। उपभोक्ता मंत्रालय ने राज्यों की मदद से 246 कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की। इनमें से बोतलबंद पानी वाली 97 कंपनियों के खिलाफ अदालत ने आदेश पारित किया है। बोतलबंद पानी पैक करने वाली कई कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं। 135 कंपनियों पर लाखों रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
जांच की जिम्मेदारी
बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनियों के उत्पाद भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के अनिवार्य प्रमाणन के तहत आते हैं। ऐसे में एफएसएसएआई के साथ बीआईएस भी पानी की गुणवत्ता की जांच करता है। भारतीय मानक ब्यूरो बोतलबंद पानी पर आईएसआई मार्का के गलत इस्तेमाल को लेकर भी जांच और कार्रवाई करता है।
नाकाम रहे नमूने
वर्ष जांचे गए नमूने नाकाम रहे नमूने
2014-15 806 226
2015-16 745 345
2016-17 697 224
2017-18 1,123 496
लगातार बढ़ रहे मामले
वर्ष मुकदमे दोषसिद्ध
2015-16 176 39
2016-17 131 33
2017-18 246 97
मानकों की अनदेखी
बीआईएस ने पीने योग्य स्वच्छ पानी के लिए चालीस से अधिक मानक तय किए हैं। लेकिन जांच के दौरान कई बोतलबंद पानी ऐसे पाए गए जिन्हें बिना साफ किए ही पैक कर दिया गया था। कुछ नमूनों में क्लोरीन और बीमारियों को न्योता देने वाली ब्रोमेट की मात्रा अधिक पाई गई। कई में अधिक पीएच और खनिज पाए गए, जिनसे शरीर में कई तरह की बीमारियां पैदा होती हैं।