मकर संक्रांति पर सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश की है अनोखी वजह जाने पिता पुत्र के मिलन की कहानी।
पुत्र शनि से मिलते हैं भगवान भास्कर
हिंदु मान्यताआें के अनुसार मकर संक्रांति पर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। वे 14 जनवरी 2019 को सांयकाल 8 बजकर 04 मिनट पर मकर राशि में प्रविष्ट होंगे। इसी दिन खिचड़ी का योग बनेगा। चूंकि मकर राशि के स्वामी शनि देव है जो सूर्य के ही पुत्र हैं अत ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
मकर संक्रांति का महत्व
इस पर्व का प्राचीन काल से ही काफी महत्व माना गया है। कहते हैं कि महाभारत के युद्घ के पश्चात भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का ही चयन किया था। मकर संक्रान्ति के दिन ही भगीरथ माता गंगा को कपिल मुनि के आश्रम के मार्ग से सागर तक लाए थे। खगोल गणनाओं के सूर्य इस काल में उत्तर की आेर यात्रा करते हैं, आैर ऐसी मान्यता है कि जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर चलते हैं उनकी किरणों का प्रभाव हानिकारक होता है, लेकिन जब पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने लगते है, तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं। इस वजह से साधु, संतों और आध्यात्मिक क्रियाओं से जुड़े व्यक्तियों को शांति और सिद्धि प्राप्त होती है।
मिलता है मोक्ष
श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि, उत्तरायण के 6 माह अत्यंत शुभ होते हैं इस काल में, जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं, तब पृथ्वी प्रकाशमय होती है। इस अवधि में शरीर का त्याग करने से मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है और वह मोक्ष को प्राप्त होता है। मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान, दान और पुण्य काल के शुभ समय का विशेष महत्व है।
मकर संक्रांति पर पुत्र से मिलने के लिए सूर्य करते हैं उत्तरायण में प्रवेश
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