नई दिल्ली:केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। सूत्रों ने सोमवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की हुई बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया। इसमें फैसला किया गया कि प्रतिवर्ष आठ लाख रुपये से कम आय वाले परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती में और उच्च शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, सरकार इसके लिए शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन कल संविधान संशोधन विधेयक ला सकती है। सरकार को इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन करना होगा। गौरतलब है कि अभी सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को कुल करीब 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। उच्चतम न्यायालय ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी तय की हुई है।
पढ़ें नेताओं की प्रतिक्रिया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा, बहुत देर कर दी मेहरबां आते-आते’। हरीश रावत ने यह भी कहा कि वह कोई भी जुमला दें लेकिन अब इस सरकार को कोई नहीं बचा सकता है।
वहीं आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, ‘आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण जातियों के लिये मोदी सरकार ने 10% आरक्षण का स्वागत योग्य चुनावी जुमला छोड़ दिया है, ऐसे कई फैसले राज्यों ने समय-समय पर लिये लेकिन 50% से अधिक आरक्षण पर कोर्ट ने रोक लगा दी क्या ये फैसला भी कोर्ट से रोक लगवाने के लिये एक नौटंकी है’। इसके बाद एक अन्य ट्विट में संजय सिंह ने लिखा-10% आरक्षण बढ़ाने के लिये संविधान संशोधन करना होगा सरकार विशेष सत्र बुलाये, हम सरकार का साथ देंगे वरना ये फैसला चुनावी जुमला मात्र साबित होगा। इस ट्विट को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी रिट्वीट किया है।
सवर्ण आरक्षण: अरविंद केजरीवाल बोले-सरकार विशेष सत्र बुलाए, हम देंगे साथ
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