नई दिल्ली:केन्द्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली ने सोमवार को राहुल गांधी उस ट्वीट पर तीखी टिप्पणी की, जिसमें राहुल गांधी ने सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में बरी 22 लोगों पर आए फैसले को लेकर हमला बोला था। बरी हुए ज्यादातर लोग गुजरात के पुलिसकर्मी थे।
केन्द्रीय वित्तमंत्री ने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में 22 लोगों को बरी किया और यह कहा कि सीबीआई ने केस की पेशेवर तरीके से जांच नहीं की। जेटली ने कहा- “केस में बरी किए जाने से ज्यादा महत्वपूर्ण जज की तरफ से जांच को लेकर किया गया उनका ऑब्जर्वेशन है, जिसमें यह कहा गया कि शुरुआत से ही जांच एजेंसी ने सच्चाई जानने के लिए पेशेवर तरीके से केस की जांच ही नहीं की। इसकी बजाय, वे कुछ राजनीतिक कारणों से इसकी दिशा बदलते रहे।”
सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस को साल 2010 में जांच के लिए अपने हाथ लेनेवाली सीबीआई ने 38 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। इसमें तत्कालीन गुजरात के गृहमंत्री (वर्तमान में बीजेपी प्रेसिडेंट) अमित शाह और गुजरात, राजस्थान के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल थे। मुंबई की एक अदालत ने अमित शाह और अन्य राजनेताओं को इस केस में पहले ही बरी कर चुकी थी। पिछले हफअते, जज ने कहा कि सीबीआई ने पुलिस के खिलाफ भी केस को साबित करने में अफसल रही। इसी फैसले के बाद राहुल गांधी ने उसका हवाला देते हुए बीजेपी पर हमला बोला। ट्वीट करते हुए राहुल ने कहा- “किसी ने नहीं मारा…. उनकी मौत हुई थी।”
जेटली ने कहा, ”यह उचित होता अगर उन्होंने यह सवाल पूछा होता कि किसने सोहराबुद्दीन मामले में जांच का सत्यानाश किया तो उन्हें सही जवाब मिलता।
जेटली ने ‘हू किल्ड द सोहराबुद्दीन इन्वेस्टिगेशन’ शीर्षक से अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि जिन लोगों ने हाल में संस्थाओं की स्वतंत्रता को लेकर चिंता जताई थी, उन्हें गंभीरता से आत्ममंथन करना चाहिये कि जब वे सत्ता में थे तो उन्होंने सीबीआई के साथ क्या किया।
राज्यसभा में सदन के नेता जेटली ने कहा कि उन्होंने 27 सितंबर 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था जिसमें सोहराबुद्दीन, तुलसी प्रजापति, इशरत जहां, राजिंदर राठौड़ और हरेन पांड्या मामलों में जांच के राजनीतिकरण का ब्योरा दिया था।
जेटली ने कहा, ”पत्र में जो कुछ भी मैंने कहा है वह अगले पांच वर्षों में सही साबित हुआ है। हमारी जांच एजेंसियों के साथ कांग्रेस ने क्या किया, उसका यह अकाट्य साक्ष्य है।” इस महीने की शुरूआत में विशेष सीबीआई अदालत ने सोहराबुद्दीन मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया था।
अदालत ने फैसला सुनाते हुए यह भी कहा था कि सीबीआई ने सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उनके सहायक तुलसी प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ों में हत्या के मामले की जांच नेताओं को फंसाने के लिये ‘पूर्व कल्पित और पूर्व नियोजित तरीके से की।
सोहराबुद्दीन पर फैसले को लेकर जेटली का राहुल पर निशाना, किसने किया जांच का कत्ल
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