नई दिल्ली:सेना, सुरक्षा बल व भारत के प्रमुख सुरक्षा व अन्य संवेदनशील संस्थान ‘आईएसआई’ के जासूसी रडार पर हैं। इसके लिए झूठी व भ्रामक फोन कॉल का सहारा लिया जा रहा है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने स्वंय पिछले दिनों डीजी कांफ्रेंस में हुई आंतरिक बैठक में इस संबंध में आगाह किया था। उन्होंने खुलासा किया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी द्वारा सीमा पार से झूठी व भ्रामक फोन कॉल द्वारा हमारी सेना, केंद्रीय सशस्त्र बलों, डीआरडीओ, विदेश मंत्रालय, एयरपोर्ट अथॉरिटी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, रेलवे आदि को निशाना बनाया जा सकता है।
आईएसआई का हथकंडा
एजेंसियों का कहना है कि गृह मंत्रालय को भारतीय एजेंसियों से रिपोर्ट मिली है कि भ्रामक फोन कॉल द्वारा भारतीय एजेंसियों से संवेदनशील जानकारी एकत्र की जा रही है। इसके आधार पर ही गृहमंत्री ने सभी एजेंसियों को आगाह किया है।पाकिस्तान के नंबर से आने वाली कॉल को स्थानीय नंबर में परिवर्तित करने के लिए ‘वायस ओवस इंटरनेट प्रोटोकॉल’ का इस्तेमाल किया जाता है। फोन पर वरिष्ठ अधिकारी बनकर सूचनाएं हासिल की जाती हैं। इसी तरह की सूचना पर शुक्रवार को हैदराबाद में एक गिरोह भी पकड़ा गया, जिससे आईएसआई के हथकंडे की पुष्टि हुई।
कई माड्यूल पकड़े गए
पाक खुफिया एजेंसी अपने एजेंटों का जाल बिछाकर हमारी प्रमुख एजेंसियों की सूचनाओं में सेंधमारी की कोशिश कर रहा है। लीक के जरिए हासिल की गई महत्वपूर्ण सूचनाएं आतंकी संगठनों से भी साझा करके आतंकियों को हमले के लिए उकसाया जा रहा है। एजेंसियों ने बीते एक साल में कई आईएसआई समर्थित जासूसी मॉडयूल को नष्ट किया है। सतर्कता से कई लोग गिरफ्त में भी आए हैं। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि आईएसआई के जासूसों का जाल देश के अलग-अलग हिस्सों में हो सकता हे।
जासूसों की भी गिरफ्तारी
जनवरी 2017 से नवंबर 2018 तक 17 आईएसआई समर्थित माड्यूल नष्ट किए गए। देश भर में 25 जासूसों को पकड़ा गया। इनमें से दो पाकिस्तानी थे। एजेंसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पकड़े गए जासूसों से पता चला है कि आईएसआई लगातार हमारी सेना, सुरक्षा बलों व देश के प्रमुख संस्थानों की संवेदनशील सूचनाओं को हासिल करने का प्रयास कर रहा है। हनी ट्रैप के जरिए भी सुरक्षा तंत्र को भेदने का प्रयास पहले की तुलना में तेज हुआ है।