मुंबई। मुंबई में आग की घटनाओं में वृद्धि होते हुए मुंबई फायर ब्रिगेड फायर ऑडिट को लेकर गंभीर नहीं हैं। फायर ऑडिट हुई बिल्डिंगों की जानकारी मांगने पर सीधी और स्पष्ट जानकारी देने में फायर ब्रिगेड टालमटोल कर रहा हैं। 13 अप्रैल 2018 को इसे लेकर की गई शिकायत को मुंबई फायर ब्रिगेड ने नजरअंदाज कर दिया। फायर ऑडिट की जानकारी सार्वजनिक करना समय की जरुरत होने की बात कहते हुए आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सवाल किया है कि मुंबई फायर ब्रिगेड फायर ऑडिट की जानकारी सार्वजनिक करने से टालमटोल कर रहा हैं? फायर ऑडिटची की जानकारी सार्वजनिक करने में होती टालमटोल मुंबईकरों की जान पर बन रही हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में मुंबई के अंधेरी स्थित ईएसआईसी अस्पताल में लगी आग से 8 लोगों की मौत हो गई जिसमें एक छह महीने का मासूम भी शामिल था जबकि 140 लोगों को बचाने में कामयाबी मिल गई। मीडिया खबरों के अनुसार यह अस्पताल फायर सेफ्टी एनओसी के बगैर ही चल रहा था। हैरत की बात यह है कि कई बार इन आग के चलते फायरकर्मियों को भी अपनी जान गंवानी पड़ती है। इन सबके बावजूद भी फायर ब्रिगेड डिपार्टमेंट का यह रवैया समझ से परे है।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई फायर की हद में फायर ऑडिट अंतर्गत कुल बिल्डिंगों की संख्या, बिल्डिंग का प्रकार, वॉर्ड का नाम, कुल फायर ऑडिट हुए बिल्डिंग की संख्या और फायर ऑडिट न हुए बिल्डिंग की संख्या की जानकारी दिनांक 1 जनवरी 2018 से सूचना मांगी थीं। विभागीय अग्निशमन अधिकारी एस.डी.सावंत ने जानबूझकर जानकारी देने से टालमटोल की। महाराष्ट्र अग्निप्रतिबंधक व जीवसरंक्षक उपाययोजना अधिनियम 2006 के तहत बिल्डिंग का मालिक /निवासी /हौसिंग सोसायटी ने उनकी बिल्डिंग की फायर ऑडिट लाइसेंस धारक अग्निशमन यंत्रणा के जरिए कर लेना और उसकी रिपोर्ट मुंबई अग्निशमन दल के कार्यालय में पंजीकृत करना या बृहन्मुंबई महानगरपालिका के वेबसाइट पर अपलोड करना जरुरत हैं। लेकिन कितने रिपोर्ट प्राप्त हुआ और कितनों ने अपलोड किया हैं, इसको जानकारी नहीं दी हैं।
मुंबई में 34 अग्निशमन केंद्र की हद में नामनिर्देशित अधिकारी को बिल्डिंग की जांच करने का अधिकार होते हुए फायर ऑडिट जैसी महत्वपूर्ण जानकारी अग्निशमन दल क्यों नहीं दे रहा हैं? यह सवाल करते हुए अनिल गलगली ने अग्निशमन दल की इस टालमटोल की शिकायत मनपा आयुक्त अजोय मेहता से की हैं।मुंबई में जब आग की घटना होती हैं तब अग्निशमन दल द्वारा फायर ऑडिट की ओर बरती लापरवाही भी उतनी ही जिम्मेदार होती है, यह साबित हो चुका हैं। फायर ऑडिट जैसी महत्वपूर्ण जानकारी ऑनलाईन की जाती हैं तो जो फायर ऑडिट करते ही नहीं, ऐसे लोगों को मजबूरी से लोकलज्जास्तव पहल कर उसे करना ही पड़ेगा, ऐसा मत अनिल गलगली का हैं।
फायर ऑडिट की जानकारी देने से फायर ब्रिगेड कर रहा है टालमटोल, खतरे में मुंबईकरों की जान
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