ठाणे। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री कुलदीप कुमार जी एवं मुनि श्री मुकुल कुमार जी का ठाणे तेरापंथ भवन में भव्य मंगल प्रवेश हुआ।
उल्लेखनीय है कि मुनि श्री कुलदीप कुमार जी अपना पिछला चातुर्मास अहमदाबाद शाहीबाग में परिसंपन्न कर ठाणे (मुंबई क्षेत्र) में लगभग 620 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर पधारे। यह मुनि श्री के विशिष्ट मनोबल का परिचायक है।
मुनि श्री कुलदीप कुमार जी ने अपने वक्तव्य में कहा मैने अहमदाबाद में स्वामी जी से कहा था कि हमारी प्रथम मर्यादा है साधु साध्वी आचार्य की आज्ञा से विहार चातुर्मास आदि करें मुझे मुंबई का आदेश हुआ है । मुझे निर्विघ्न पहुंचाना आपका काम है। स्वामी जी की कृपा से मैं आज सानंद ठाणे क्षेत्र में पहुंच गया हूं। इस की मुझे हार्दिक प्रसन्नता है। मुनि श्री श्रावको को उनके लिए क्या करणीय है क्या अकरणीय की विशिष्ट प्रेरणा दी। और कहा मुनि मुकुल कुमार जी ने बहुत विकास किया है इनका जितना लाभ ले सको लेना है।
मुनि श्री मुकुल कुमार जी ने कहा आचार्य भिक्षु हमारे आद्यप्रवर्तक हैं। भिक्षु विचार दर्शन, तेरापंथ के इतिहास को पढ़ना हर श्रावक के लिए अनिवार्य है। उन्होंने भीखण शब्द की जगह आचार्य भिक्षु शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई उसकी रोचक जानकारी प्रदान की। इससे पूर्व मुनिद्वय का रैली के माध्यम से भव्य मंगल प्रवेश हुआ।
इस अवसर पर सभा अध्यक्ष रमेश जी सोनी , सिरियारी संस्थान के संगठन मंत्री जीतू जी बरलोटा, उपाध्यक्ष लक्ष्मी लाल जी सिंघवी, तेरापंथ महिला मंडल के मंत्री भारती ओस्तवाल , सभा मंत्री नरेश जी बापना आदि ने स्वागत वक्तव्य के माध्यम से मुनिद्वय की अभिवंदना की।
दक्षिण मुंबई कालबादेवी तेयूप के अध्यक्ष नितेश जी धाकड़ ने दक्षिण मुंबई की ओर से मुनिदेव का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन ऊर्जावान श्रावक विमल गादिया ने किया।
मुनिद्वय ने किया ठाणे में मंगल प्रवेश
Leave a comment
Leave a comment