- क्या मराठा समुदाय को दिया गया 10 फीसदी आरक्षण कोर्ट में टिक पाएगा?
- मुख्यमंत्री राज्य की जनता को बताएं कि उन्होंने अंतरवाली सराटी में जरांगे पाटिल से क्या वादा किया था .
- गुलाल उड़ाने के बाद भी मनोज जरांगे पाटिल को अनशन करने की नौबत क्यों आई ?
- जल्दबाजी में दी गई अधिसूचना का वास्तव में पहले क्या हुआ?
मुंबई। सभी राजनीतिक दलों का यही रुख है कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए लेकिन सबसे जरूरी है कि वह आरक्षण कोर्ट में टिकना चाहिए। सरकार ने आरक्षण के लिए विशेष सत्र बुलाया लेकिन इस पर चर्चा तक नहीं की। सिर्फ एक पेज का विधेयक प्रस्तुत किया और मराठा समुदाय को शिक्षा और रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया। आज का फैसला जल्दबाजी में लिया गया है। क्या ये आरक्षण कोर्ट में टिक पाएगा? यह बड़ा सवाल महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाना पटोले ने उठाया है।
आरक्षण के मुद्दे पर बोलते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने आगे कहा कि मनोज जरांगे पाटिल ने मराठा समुदाय के लिए आंदोलन शुरू किया है।आज भी वे भूख हड़ताल पर अड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री ने हाल ही में नवी मुंबई में घोषणा की थी कि जरांगे पाटिल की सभी मांगें मान ली गई हैं। गुलाल भी उड़ाया गया लेकिन फिर क्यों जरांगे पाटिल को अनशन पर बैठना पड़ा। मुख्यमंत्री को जनता को बताना चाहिए कि उन्होंने जरांगे पाटिल से क्या वादा किया था। पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार का दावा है कि मराठा समुदाय का पिछड़ापन साबित हो चुका है।लेकिन इस सर्वे पर कई संदेह उठाए गए हैं। यह आश्चर्यजनक है कि मुंबई शहर में ही छह दिनों में 26 लाख लोगों का सर्वेक्षण किया गया।
पटोले ने कहा कि कांग्रेस गठबंधन सरकार ने 2014 में मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया था। लेकिन देवेंद्र फडणवीस सरकार इसे अदालत में बरकरार नहीं रख सकी। फडणवीस सरकार ने 2018 में एक सत्र बुलाया और सर्वसम्मति से मराठा समाज को 12 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया, लेकिन यह आरक्षण मा. सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिक पाया। अब एक बार फिर मराठा समुदाय को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हो गया है। क्या बीजेपी सरकार द्वारा आज लिया गया फैसला कोर्ट में टिक पाएगा? कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह सबसे महत्वपूर्ण सवाल मराठा समाज के साथ – साथ आम लोगों के मन में है।