मुंबई। महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी और स्वर संगम फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सुधाकर मिश्र कृत आदिराज पृथु के लोकार्पण एवं चर्चा सत्र में अध्यक्ष के रूप में वक्तव्य देते हुए डॉ रामेश्वर मिश्र ‘अनुरोध’ने कहा कि इस ग्रंथ में आदिराज पृथु की आदर्श सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक क्रियाशीलता को उद्घाटित करते हुए उनके लोकहितैषी व्यवहार को रेखांकित किया गया है।
यह कृति कामायनी और उर्वशी की काव्यात्मकता का संश्लिष्ट रूप है। प्रस्ताविकी प्रस्तुत करते हुए महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष शीतला प्रसाद दुबे ने आदिराज पृथु के कृषकहितैषी व्यवहार को प्रासंगिक सिद्ध करते हुए कहा कि उसमें नारी सम्मान का स्वर मुखरित हुआ है। मुख्य अतिथि कमलाशंकर मिश्र ने कहा कि महाभारत और पुराणों में उल्लिखित चरित्रों को आधार बनाकर रचनाकार ने भारतीय सांस्कृतिक ज्ञान परंपरा को उद्घाटित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।
विशेष अतिथि उमराव सिंह ओस्तवाल ने सुधाकर मिश्र की रचनात्मकता को विशेष महत्वपूर्ण बताया। चर्चा सत्र में सतीश पांडेय, उमेश शुक्ला और संतोष कौल ने अभिपत्र प्रस्तुत किया।अभिमत प्रस्तुत करते हुए सुधाकर मिश्र ने कहा समाज में जो प्रेय होता है और आवश्यक होता है, उसे प्रस्तुत करना रचनाकार का धर्म होता है। मैंने इसी का निर्वाह किया है। शैलेश सिंह ने उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में हरियश राय, नगरसेवक श्रीप्रकाश मुन्ना सिंह,मदन सिंह,और सैकड़ों की संख्या में हिंदी प्रेमी उपस्थित थे।
‘आदिराज पृथु ‘ में कामायनी और उर्वशी का उत्कर्ष है -डाॅ अनुरोध
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