लखनऊ:तीन राज्यों में चुनावों के बाद रायबरेली भाजपा और विपक्षी दलों की तकरार का नया केंद्र बनने जा रहा है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब विपक्षी दल लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को घेरने की कोशिश कर रहे हों लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रायबरेली दौरा इस सियासत को और गर्माएगा। ऐसे में सियासी दलों में गांधी परिवार के दो धुरंधरों को घेरने के लिए इलाकाई क्षत्रपों की तलाश भी शुरू हो गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 दिसंबर को रायबरेली आ रहे हैं। इस दौरे को यूपी में भाजपा के चुनाव प्रचार की शुरुआत माना जा रहा है। अब राफेल विमानों की खरीद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भाजपा के पक्ष में आने के बाद आरोपों-प्रत्यारोपों की जंग और तेज होगी। सियासी रणनीतिकारों की मानें तो पीएम का यह दौरा लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र है और इसके बाद सियासी दलों में रायबरेली और अमेठी में अपने-अपने सिपाहसलारों की तलाश तेज हो जाएगी।
भाजपा में चर्चा है कि पार्टी संगठन प्रख्यात कवि और कभी पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी रहे कुमार विश्वास के संपर्क में है। उन्हें पार्टी में लाने की कोशिशें हो रही हैं। वहीं भाजपा कभी सोनिया के करीबी रहे कांग्रेस के पूर्व एमएलसी दिनेश सिंह पर भी दांव लगाने पर जोड़-घटाना कर रही है। चर्चा है कि इसीलिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह खुद दिनेश सिंह व उनके भाई को पार्टी में शामिल कराने रायबरेली आए थे। इसके बाद से भाजपा के कई दिग्गज स्मृति इरानी से लेकर अरुण जेटली और खुद संगठन महामंत्री सुनील बंसल दौरा कर चुके हैं।
किसी भी दल के लिए उम्मीदवार तय करने से पहले रायबरेली के सियासी व जातीय समीकरण देखना जरूरी होता है। रायबरेली में मुख्य रूप से पासी फिर ब्राह्मण व कुर्मी हैं। वहीं चर्चा है कि अगर गठबंधन न हुआ तो सपा के नेता मनोज कुमार पांडेय पर भी दांव आजमाया जा सकता है। मनोज की रायबरेली व अमेठी में बतौर ब्राह्मण नेता कद्दावर छवि है। मोदी लहर के बावजूद 2017 के चुनाव में मनोज ने बसपा से भाजपा में आए कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे को दूसरी बार हराकर जीत हासिल की थी। उनकी जीत के पीछे ब्राह्मण, मुस्लिम और पासी वोटों को अहम माना जाता है।
प्रधानमंत्री का रायबरेली दौरा सियासत को और गर्माएगा
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