कृष्णानगर-दिल्ली। उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी स्वामी के सहवर्ती तपस्वी संत मुनिश्री नमिकुमार जी स्वामी का विशाल एवं भव्य उपस्थिति में अठाइस की तपस्या मासखमण का प्रत्याख्यान हुआ। इस अवसर पर शाहदरा में प्रवासरत साध्वीश्री अणिमाश्री का अपनी सहवर्तिनी साध्वियों के साथ मासखमण तप वर्धापना हेतु मुनिश्री की सन्निधि में पादार्पण हुआ। मुनिवृन्द व साध्वीवृन्द का मधुर एवं वात्सल्य संभृत मिलन देखकर पूरी परिषद भावविभोर हो गई।
मुनिश्री की विशेष प्रेरणा से तप प्रत्याख्यान के इस अवसर पर सैंकड़ों भाई-बहनों ने सामायिक की पचरंगी सतरंगी करके तप अनुमोदना की तथा अनेक भाई-बहनों ने उपवास, बेला, तेला, पंचोला एवं पौषध द्वारा तप की वर्धापना की। तपस्वी के दीर्घ तप के प्रति पूरी परिषद् नतमस्तक थी।
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी स्वामी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा-जिनशासन रूपी कल्पवृक्ष को तपस्वी संत अपने तप के द्वारा सिंचन प्रदान कर उनकी जड़ों को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। तेरापंथ के तपस्वी संतों की प्रलम्ब श्रृंखला में एक नाम जुड़ रहा है मुनि नमिकुमार जी का। मुनि नमिकुमार जी ने सात वर्ष के संयम पर्याय में सोलह मासखमण कर तेरापंथ के इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित किया है। ढलती वय में संयम लेकर तप-ज्योति से आत्म-ज्योति को प्रज्ज्वलित कर रहे हैं। दिल्ली आने के बाद पांच बड़ी तपस्याएं एवं एक पावस में तीन मासखमण करने वाले हमारे धर्मसंघ के संभवत पहले संत है। इनकी विनम्रता एवं तप के प्रति आन्तरिक आकर्षण श्लाघनीय है। मैं मंगलकामना करता हूं कि तप के इस महापथ पर निरन्तर अग्रसर रहें।
मुनिश्री ने कहा-मुनि नमिकुमार जी अत्यंत सौभाग्यशाली हैं, जिनका मासखमण तप प्रत्याख्यान चार तीर्थ की उपस्थिति में हो रहा है। मुझे अत्यधिक प्रसन्नता हो रहा है कि साध्वी अणिमाश्री जी नमिमुनि की वर्धापना में पधारी हैं। ये प्रबुद्ध एवं प्रवचनकार साध्वी हैं। सहवर्तिनी साध्वियों का निर्माण किया। हमारे कई चातुर्मास साथ-साथ हुए हैं। अनेक बार मिलन के अवसर आए हैं। ऐसे संघप्रभावक अवसर आते रहें।
मुनिश्री ने कहा-आज बहनें मेरे घर आई हैं, हम भक्ति नहीं कर सकते किन्तु आज नमिमुनि को मासखमण तप का प्रत्याख्यान साध्वीश्री जी करवाएगें। ऐसा वात्सल्य भरा एवं प्रमोद भावना का दुर्लभ क्षण देखकर पूरी परिषद आह्लादित हो गई। मुनिश्री एवं साध्वीश्री के परस्पर मान-मनुहार के उपरांत मुनिश्री के निर्देशानुसार साध्वीश्री अणिमाश्री जी ने तपस्वी मुनि को मासखमण तप का प्रत्याख्यान करवाया।
साध्वीश्री अणिमाश्री जी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा-आज नमिमुनि सोलहवें मासखमण का प्रत्याख्यान कर रहे हैं। नमिमुनि के भीतर तप करने की शक्ति थी। जिस प्रकार जामवंतजी ने हनुमान की सोई शक्ति को जगा दिया था, उसी प्रकार मुनिप्रवर ने नमिमुनि की तपः शक्ति को जागृत कर दिया है। मुनिश्री अपनी तपः साधना से, आत्मतेज से तपस्वी मुनिश्री के भीतर नवप्राणों का संचार कर रहे हैं। आप श्री की वात्सल्यमयी सन्निधि ही इनको तप के लिए प्रेरित कर रही है, ऐसा मुझे लग रहा है। मुनिश्री ने नमिकुमार जी के तपोमय विचारों को संपुष्ट किया है। तभी तो एक वर्ष में पाँच बड़ी तपस्याएं एवं एक चातुर्मास में तीन मासखमण हुए हैं। आपने अपनी तप: साधना से संघ की अत्यधिक प्रभावना की है। ढलती वय में दीक्षा लेकर आपश्री ने अपने आपको तप के लिए समर्पित कर जीवन को सार्थक एवं सफल बनाया है।
उग्राविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री हमारे धर्मसंघ की नजीर है। अपनी तप: साधना एवं उग्रविहार करके धर्मसंघ में एक विशिष्ट स्थान बनाया है। आप पैंतालीस वर्ष से निरन्तर वर्षीतप कर रहे हैं एवं पारणे में खाद्य संयम स्वाद-विजय का उत्कृष्ट उदाहरण है। आपश्री का अतिश्रम हम सबके लिए अनुकरणीय एवं प्रणम्य है। आपश्री की प्रमोद भावना मन को तोष प्रदान करने वाली है। आपश्री हमें जो बहुमान देते हैं, उसके प्रति हम नतमस्तक हैं। लगता है सचमुच भाई के वात्सल्य में अवगाहन कर रहे हैं। आपका वात्सल्य निरन्तर मिलता रहे, ऐसी मैं कामना करती हूँ।
तपस्वी संत मुनिश्री नमिकुमार जी स्वामी ने अपने अहोभाव प्रकट करते हुए कहा-परम पूज्य गुरुदेव के दिव्य आशीर्वाद एवं मेरे परम उपकारी मेरे आगीवान मुनिश्री की ऊर्जा से ही मैं यह तप संपन्न कर पाया हूँ। मुनिश्री की सेवाभावना से मैं अभिभूत हूँ। अमन मुनि का सहकार भी मुझे प्राप्त हुआ। आज साध्वी श्री अणिमाश्रीजी की मंगलभावना भी मुझे प्राप्त हुई है। इस अवसर पर पधारकर आपने कृपा की है।
मुनिश्री अमनकुमार जी स्वामी ने कहा-नमिमुनि उस संकल्प शक्ति का नाम है, जिन्होंने कम समय में दीर्घ तपस्याएं करके तपस्वी किंग बन गए हैं। आपने अपने आस-पास ऐसे मनोबल के बॉडीगार्ड खड़े कर रखे हैं, जो आपके भीतर नकारात्मक शक्तियों को प्रवेश ही नहीं करने देते। आप अपनी सकारात्मक ऊर्जा एवं संकल्प शक्ति से तपस्या करके सबके लिए आकर्षण के केन्द्र बन गए हैंं।
साध्वी कर्णिकाश्री जी ने तेरापंथ की ख्यात में अपना विशिष्ट स्थान बनाने वाले तपस्वी मुनि नमिकुमारजी के तप की अनुमोदना में अपने भावों की प्रस्तुति दी।
साध्वी कर्णिकाश्री जी, डॉ.साध्वी सुधाप्रभाजी एवं साध्वी समत्वयशाजी ने गीतांजलि द्वारा तप की वर्धापना की।
सात वर्ष की संयम पर्याय में सोलह मासखमण करने वाले विरले तपस्वी संत है-मुनि नमिकुमार जी – मुनि कमलकुमार
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