- अष्टमाचार्य कालूगणी के पदारोहण दिवस पर आचार्यश्री ने अर्पित की विनयांजलि
- आचार्यश्री ने उपस्थित जनता को प्रदान की विविध प्रेरणाएं
29.09.2023, शुक्रवार, घोड़बंदर रोड, मुम्बई (महाराष्ट्र)। परमात्मा बन जाना तो एक बहुत ही ऊंची बात होती है। परमात्मा बनने से पहले महात्मा बनना होता है। महात्मा बने बिना परमात्मा नहीं बना जा सकता। नमस्कार महामंत्र में अर्हत्, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और मुनि को नमन किया गया है। अर्हत् जो जैन शासन में अध्यात्म जगत के सर्वोच्च पद पर आसीन होते हैं। सिद्ध भी मनुष्य जगत के पदों से मुक्त हो चुके हैं। आचार्य मनुष्य के रूप में होते हैं और नमस्कार महामंत्र में मध्यस्थ हैं। आचार्य के दो ऊपर और दो नीचे होते हैं, आचार्य मध्य में विराजमान होते हैं।
परम पूज्य कालूगणी तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टमाचार्य थे। आज भाद्रव शुक्ला पूर्णिमा, जो भाद्रव मास का अंतिम दिन है। आज परम पूज्य कालूगणी का पट्टोत्सव का दिन है। आज के ही दिन उन्होंने धर्मशासन की बागडोर औपचारिक रूप में संभाली थी। चतुर्मास में श्रावण और भाद्रव धर्म की दृष्टि से खास होते हैं। इनमें तपस्या, व्याख्यान, आयोजन आदि अत्यधिक धार्मिक माहौल-सा रहता है। भाद्रव महीना हमारे धर्मसंघ की इतिहास की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। कई ऐतिहासिक प्रसंग भाद्रव महीने में घटित हुए हैं। भाद्रव कृष्णा द्वादशी श्रीमज्जयाचार्य के महाप्रयाण के साथ जुड़ा हुआ है। भाद्रव शुक्ला तृतीया परम पूज्य तुलसी का युवाचार्य मनोनयन दिवस है। पूज्य कालूगणी ने भाद्रव शुक्ला तृतीया को मुनि तुलसी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था। भाद्रव शुक्ला षष्ठी परम पूज्य कालूगणी के महाप्रयाण का दिवस है। भाद्रव शुक्ला नवमी परम स्तुत्य आचार्यश्री तुलसी का आचार्य पदारोहण दिवस है। भाद्रव शुक्ला द्वादशी डालगणीप्रवर का महाप्रयाण दिवस है। भाद्रव शुक्ला द्वादशी के दिन आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने मुझे अपना उत्तराधिकारी मनोनीत किया था। भाद्रव शुक्ला त्रयोदशी को हमारे धर्मसंघ के प्रथम आचार्यश्री भिक्षु स्वामी का महाप्रयाण दिवस, चरमोत्सव का दिवस होता है। भाद्रव शुक्ला नवमी अब विकास महोत्सव का दिन भी बना हुआ है।
आज भाद्रव शुक्ला पूर्णिमा परम पूज्य कालूगणी का आचार्य पदारोहण दिवस है। यह भाद्रव महीने का अंतिम प्रसंग है। आज के दिन उन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ की बागडोर संभाली। वे अष्टम आचार्य थे। उनका जीवनकाल साधिक 59 वर्षों का रहा। वे श्रीमज्जयाचार्य के शासनकाल में जन्मे हुए थे। उनका जन्म भी विशिष्ट था। मानों कोई महापुरुष थे, जो मां के गर्भ में आन से पूर्व मां छोगाजी के स्वप्न में आए, पूछा और मां को साथ आने वाले खतरे से भी अवगत कराया। मां की अनुमति के उपरान्त आए और उनके साथ संभावित खतरा भी आया, जिसमें मां छोगाजी ने पछाड़ दिया।
वे तेरापंथ धर्मसंघ के पंचम आचार्य मघवागणी के काल में बाल संत के रूप में दीक्षित हुए। गुरुकृपा प्राप्त संत थे। मघवागणी के उपरान्त आचार्यश्री माणकगणी का काल आया। माणकगणी के महाप्रयाण के उपरान्त डालगणी आचार्य बने। उनका आचार्यकाल 12 वर्षों का रहा। तदुपरान्त डालगणी का महाप्रयाण भाद्रव शुक्ला द्वादशी को हुआ। भाद्रव शुक्ला पूर्णिमा को पूज्य कालूगणीप्रवर का आचार्य पदारोहण हुआ। उनका लगभग 27 वर्षों का आचार्यकाल रहा। उनके समय में तेरापंथ धर्मसंघ में संस्कृत भाषा का बहुत अच्छा विकास हुआ। वे अपना एक चतुर्मास हरियाणा में व एक मर्यादा महोत्सव मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र के वडनगर में किया। शेष समय वे राजस्थान में ही रहे। उनकी वृद्धमाता साध्वी छोंगाजी की विद्यमानता में ही उनका महाप्रयाण हो गया। पूज्य कालूगणी के दो शिष्य परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी और परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी युगप्रधान आचार्य बने। हमें गुरुदेव तुलसी और परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की सन्निधि में रहने का अवसर मिला। वे हमारे माइतों के माइत थे। मैं आज के दिन परम पूज्य कालूगणी के प्रति अपनी अभिवंदना व्यक्त करता हूं। उक्त पावन पाथेय संग अपने अष्टमाचार्य के प्रति विनयांजलि जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शुक्रवार को तीर्थंकर समवसरण से दी।
आचार्यश्री ने इस अवसर पर स्वरचित गीत का भी संगान किया। आचार्यश्री ने आगे कहा कि आज कितने ही केन्द्रीय संस्थाओं के पदाधिकारीगण उपस्थित हैं। परम पूज्य कालूगणी के समय जन्मी एकमात्र संस्था जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा है। इसका मानों कालूगणी के साथ संबंध है। कल्याण परिषद की गोष्ठी का आज दिन है। सभी संस्थाओं के लोगों में संघीय भावना बनी रहे।
आज के कार्यक्रम में मुनि वर्धमानकुमारजी ने आचार्यश्री से ग्यारह की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा ‘शिखरम्’ नामक कार्यक्रम का समायोजन हुआ। इस संदर्भ में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पंकज डागा, महामंत्री श्री पवन माण्डोत व कान्फिडेंट पब्लिक स्पीकिंग के मुख्य प्रशिक्षक श्री अरविंद माण्डोत ने अपनी अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में पावन आशीर्वाद प्रदान किया।
आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में शासनसेवी व श्रद्धानिष्ठ श्रावक श्री रतनलाल चोपड़ा के परिजनों व कल्याण परिषद के सदस्यों द्वारा उनकी जीवनी ‘संघ के रतन’ पुस्तक को पूज्य सन्निधि में लोकार्पित किया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में अपनी पावन प्रेरणा प्रदान की। चोपड़ा परिवार की महिलाओं गीत का संगान किया। श्री नरेन्द्र पारख व श्री सुमतिचंद गोठी ने अपनी अभिव्यक्ति दी।