- महातपस्वी की मंगल सन्निधि में विकास महोत्सव का हुआ आयोजन
- ऐतिहासिक विकास पुरुष थे गुरुदेव तुलसी: शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
- चतुर्विध धर्मसंघ ने इस अवसर दी अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति
- बहिर्विहारी चारित्रात्माओं के चतुर्मास के उपरान्त विहार-चतुर्मास क्षेत्रों की भी करी घोषणा
- 77 वर्षीय मुमुक्षु को मुनि दीक्षा प्रदान करने की भी आचार्यश्री ने की घोषणा
24.09.2023, रविवार, घोड़बंदर रोड, मुम्बई (महाराष्ट्र)। रविवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में नन्दवन परिसर के तीर्थंकर समवसरण में विकास महोत्सव समायोजित हुआ। तेरापंथ धर्मसंघ के नवमाधिशास्ता आचार्यश्री तुलसी के पट्टोत्सव को दसमाधिशास्ता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने विकास महोत्सव का रूप प्रदान किया था। तब से आयोजित होने वाला यह महोत्सव पूरे धर्मसंघ को अभिप्रेरित करने वाली होती है।
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी प्रातः लगभग नौ बजे ही प्रवचन पण्डाल में तो रविवार होने के कारण श्रद्धालुओं की विशेष उपस्थिति नजर आ रही थी। विकास महोत्सव के आयोजन को लेकर गुरुकुलवासी चारित्रात्माओं की उपस्थिति थी। ऐसा लग रहा था श्वेत रश्मियों के बीच तेरापंथ के महासूर्य देदीप्यमान हो रहे थे। आचार्यश्री के मंगल महामंत्रोच्चार से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। तेरापंथ महिला मण्डल-मुम्बई ने गीत का संगान किया। साध्वीवृन्द ने भी इस अवसर पर गीत का संगान किया। विकास परिषद के संयोजक श्री मांगीलाल सेठिया व सदस्य श्री पदमचंद पटावरी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
साध्वीवर्याजी व साध्वीप्रमुखाजी ने आचार्यश्री तुलसी के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व को विस्तार से वर्णन किया। वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने विकास महोत्सव के अवसर पर उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आगम में वर्धमान होने की शुभाशंसा की गई है। वर्धमानता की दिशा यदि सही हो तो वह श्रेयस्कर होता है और यदि वर्धमानता की दिशा गलत हो तो वह व्यक्ति, समाज व राष्ट्र के लिए हानिहाकर साबित हो सकता है। विकास होना सही है, किन्तु इसके साथ-साथ विकास की दिशा का भी सही होना बहुत आवश्यक है। विकास आध्यात्मिक रूप में भी होता है और विकास भौतिक रूप में भी होता है। भौतिक विकास का भी देश, समाज और परिवार के लिए अपेक्षित हो सकता है।
तेरापंथ धर्मसंघ आध्यात्मिकता से जुड़ा हुआ संघ है। यहां आध्यात्मिक विकास की बात है। तेरापंथ के आद्य व संस्थापक आचार्यश्री भिक्षु ने इसकी स्थापना की। धर्मसंघ ने विकास किया। महामना आचार्यश्री भिक्षु की परंपरा में आठवें आचार्यश्री कालूगणी हुए। उन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ में ऐतिहासिक कार्य करते हुए एक 22 वर्षीय युवा मुनि तुलसी को अपना युवाचार्य घोषित कर दिया। इतनी कम उम्र में युवाचार्य बनने वाले मुनि तुलसी तेरापंथ धर्मसंघ के पहले व्यक्तित्व थे। बाद में युवावस्था में ही मुनि तुलसी तेरापंथ धर्मसंघ के नवमें अनुशास्ता बन गए। परम पूज्य गुरुदेवश्री तुलसी के समय में तेरापंथ धर्मसंघ ने बहुमुखी विकास किया। उन्होंने शिक्षा, दीक्षा, समण दीक्षा का नया रूप प्रदान, परीक्षा का प्रारम्भ हुआ। अणुव्रत आन्दोलन के रूप में मानवता के विकास भी अद्भुत क्रम आरम्भ हुआ। परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी तेरापंथ धर्मसंघ के प्रथम आचार्य थे जिन्होंने कोलकाता और फिर दक्षिण भारत के सुदूर क्षेत्रों की यात्रा की।
आचार्यश्री तुलसी ने तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास के पहले आचार्य थे, जिन्होंने अपने आचार्य पद का विसर्जन कर दिया। यह विसर्जन ही विकास महोत्सव का मूल आधार बना। गुरुदेव तुलसी ने पद के विसर्जन के उपरान्त अपना पट्टोत्सव न मनाने की बात कही तो सुशिष्य और तेरापंथ धर्मसंघ के दसमाधिशास्ता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने अपने गुरु के पट्टोत्सव को विकास महोत्सव के रूप में मनाने के लिए एक पत्र बना दिया, जिसे गुरुदेव तुलसी को भी स्वीकार करना पड़ा। आचार्यश्री ने उस लिखित आधार पत्र का भी वाचन किया।
आचार्यश्री ने इस अवसर पर चारित्रात्माओं को ज्ञान, संयम व तप के क्षेत्र में विकास करने की प्रेरणा प्रदान की। आचार्यश्री ने विकास परिषद के संयोजक श्री मांगीलाल सेठिया को बारहव्रत का त्याग कराया। आचार्यश्री ने कहा कि चतुर्विध धर्मसंघ विकास करे। चारित्रात्माएं सेवा, साधना, स्वाध्याय तप आदि विकास करते रहें। इस अवसर पर आचार्यश्री ने स्वरचित गीत का संगान किया।
विकास महोत्सव के अवसर पर शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने बहिर्विहारी चारित्रात्माओं के चतुर्मास के उपरान्त चतुर्मास व विहार क्षेत्रों की भी घोषणा की। आचार्यश्री ने 77 वर्षीय मुमुक्षु श्री धनराज बैद को 22 नवम्बर 2023 को मुनि दीक्षा प्रदान करने की घोषणा के साथ तीन मुमुक्षुओं मुकेश, विकास और बंधन को साधु प्रतिक्रमण सीखने की अनुमति प्रदान की। आचार्यश्री ने इस अवसर पर कहा कि आज से मुख्यमुनि महावीरकुमारजी जैन रामायण का व्याख्यान रात्रि आठ बजे से करेंगे। इस दौरान राजसमंद-राजस्थान की विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने आचार्यश्री के दर्शन कर अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। अंत में आचार्यश्री के साथ चतुर्विध धर्मसंघ ने अपने स्थान पर खड़े होकर संघगान किया।