- गुस्से का परित्याग करने को आचार्यश्री ने किया अभिप्रेरित
- कार्यकर्ता करें व्यक्तित्व का निर्माण : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
- हाजरी वाचन के चारित्रात्माओं को भी प्राप्त हुई विशिष्ट प्रेरणा
- त्रिदिवसीय प्रतिनिधि सम्मेलन के अंतिम दिन सभाओं व उपसभाओं को किया गया पुरस्कृत
15.08.2023, मंगलवार, घोड़बंदर रोड, मुम्बई (महाराष्ट्र)। भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मायानगरी मुम्बई के नन्दनवन में विराजमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, राष्ट्रसंत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने तीर्थंकर समवसरण में उपस्थित जनमेदिनी को पावन संदेश देते हुए कहा कि भारत पहले से भी अच्छा देश है। भारत में संत और संन्यासी हैं, अनेकों-अनेकों ग्रंथ सपंदा है। भारत में भौतिक विकास, आर्थिक विकास, शैक्षिक विकास, वैज्ञानिक विकास, सुरक्षा का विकास होने के साथ-साथा धार्मिक-आध्यात्मिक विकास भी होता रहे। भारत आध्यात्मिकता और धार्मिकता का विकास हो। आज का दिन भारत के महत्त्वपूर्ण दिवस है। सभी में नैतिकता, सद्भावना व नशामुक्ति का विकास होता रहे। भारत सभी क्षेत्रों के साथ आध्यात्मिक-धार्मिक उन्नति करता रहे।
इसके पूर्व युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भगवती सूत्र के आधार पर गुस्से की प्रवृत्ति का परित्याग की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि क्रोध असातवेदनीय कर्मों सघन बंध कराने वाला होता है। गुस्सा कहीं भी काम का नहीं होता। इसलिए सभी को अपने गुस्से का परित्याग करने का प्रयास करना चाहिए। गुस्सा न आए इसके लिए विशेष साधना आदि का भी प्रयास किया जा सकता है। अनुशासन के लिए कभी किसी को डांटा जा सकता है, किन्तु मन में द्वेष आदि की भावना से गुस्सा नहीं होना चाहिए। उलाहना या उपालंभ भी पात्र को देखकर देना चाहिए। छोटों को भी कड़ाई का मान रखने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने अपने व्याख्यान के दौरान मुनि विश्रुतकुमारजी के बाल्यकाल के प्रसंगों का उल्लेख करवाया और प्रेरणा देते हुए कहा कि साधु-साध्वियों बाल्यावस्था में आते हैं और बड़े होकर कितने श्रम करने वाले, संघ के प्रति कितने-कितने कार्य करने वाले बन जाते हैं।
आचार्यश्री ने महासभा प्रतिनिधि सम्मेलन के अंतिम दिन भी संभागियों को प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि कार्यकर्ताओं व चारित्रात्माओं को व्यक्तित्व विकास का प्रयास करना चाहिए। कितने-कितने कार्यकर्ता धर्मसंघ की सेवा करने वाले हैं। अपने धर्मसंघ के साथ-साथ दूसरों की जितनी सेवा हो सके, करने का प्रयास करना चाहिए। तेरापंथ की सभी संस्थाएं अच्छे कार्यकर्ताओं के व्यक्तित्व विकास के लिए कार्यशाला आदि का भी आयोजन कर सकते हैं और नए-नए कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान किया जा सकता है। जो अच्छे कार्यकर्ता हैं, उनके साथ रहकर भी कुछ अच्छा सीखा जा सकता है। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीवर्या संबुद्धयशाजी ने भी जनता को उद्बोधित किया।
चतुर्दशी के संदर्भ में उपस्थित चारित्रात्माओं को भी आचार्यश्री ने विशेष प्रेरणा प्रदान करते हुए हाजरी का वाचन किया। आचार्यश्री की अनुज्ञा से कुछ पूर्व दीक्षित हुई साध्वियों ने लेख पत्र का वाचन किया। प्रथम बार लेखपत्र का वाचन करने वाली साध्वियों को 21-21 कल्याणक और दूसरी बार वाचन करने वाली साध्वियों को दो-दो कल्याणक बक्सीस प्रदान किए। तदुपरान्त सभी चारित्रात्माओं ने अपने स्थान पर खड़े होकर लेखपत्र का उच्चारण किया।
आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में मुनि हेमराजजी की स्मृतिसभा का भी आयोजन किया गया। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने उनका संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत करते हुए उनकी आत्मा के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना करते हुए चतुर्विध धर्मसंघ के साथ चार लोग्गस का ध्यान कराया। उनकी आत्मा के प्रति मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी, साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने आध्यात्मिक मंगलकामना की। साध्वी निर्वाणश्रीजी, मुनि कोमलकुमारजी, मुनि जितेन्द्रकुमारजी, मुनि सुधांशुकुमारजी, मुनि अनेकांतकुमारजी ने अपनी श्रद्धांजलि अभिव्यक्त की। उनके संसारपक्षीय ज्ञातिजन श्री प्रदीप गंग ने भी अपनी अभिव्यक्ति दी।
आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित जीतो एपेक्स के चेयरमेन श्री सुखलाल नाहर ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी तो आचार्यश्री ने उन्हें पावन आशीर्वाद प्रदान किया।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्त्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय प्रतिनिधि सम्मेलन के अंतिम दिन आचार्यश्री की सन्निधि में आयोजित कार्यक्रम में महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुखलाल सेठिया ने अपनी अभिव्यक्ति देते हुए क्षेत्रों के हिसाब से बृहत्, मध्यम, लघु व उपसभाओं में श्रेष्ठ, उत्तम व विशिष्ट पुरस्कार प्राप्त क्षेत्रों के नामों की घोषणा की। उपसभाओं में श्रेष्ठ पुरस्कार भिलोड़ा, उत्तम माधवनगर, प्रान्तीज व विशिष्ट पुरस्कार लखावली व बिशनपुर को प्रदान किया। लघु श्रेणी की सभाओं में श्रेष्ठ कालांवली, उत्तम इचलकरंजी व विशिष्ट इरोड सभा को प्रदान किया गया। मध्यम श्रेणी में श्रेष्ठ गुलाबबाग, उत्तम हुबली और भुज तथा विशिष्ट पुरस्कार लिलुआ सभा को प्रदान किया गया। बृहत् श्रेणी में श्रेष्ठ पुरस्कार दक्षिण हावड़ा, उधना, उत्तम गुवाहाटी तथा विशिष्ट बालोतरा, बैंगलुरु और चेन्नई को प्रदान किया गया। सभी सभाओं व उपसभाओं को महासभा के पदाधिकारियों द्वारा स्मृतिचिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।