- अपनी समस्याओं का अपने द्वारा समाधान चित समाधि सेः मुनि दीप कुमार
विजयनगर, बेंगलूरू। बेंगलूरू के विजयनगर स्थित तेरापंथ भवन में युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के विद्वान सुशिष्य मुनि श्री दीप कुमारजी ठाणा-2 के सान्निध्य में “जीये चित्त समाधि के साथ” विषय पर – चित्त समाधि कार्यशाला का आयोजन जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा- विजयनगर द्वारा किया गया।
मुनिश्री दीप कुमारजी ने कहा- चित्त समाधि का एक अर्थ है-शांति का सुख और दूसरा अर्थ है- अपनी समस्याओं का अपने द्वारा समाधान, भले वो समस्याएं बाहर के जीवन की हो या भीतर के जीवन की, जो सुखी और सफल जीवन जीना चाहता है उसे चित्त समाधि का विकास करना चाहिए। जो समाधिस्थ होता है, वह अपने जीवन में निर्द्वंद रहता हुआ स्वयं शांति से जीता है और दूसरों की शांति का सतत ध्यान रखता है। आध्यात्मिक साधना में समाधि का महत्त्व सर्वविदित हैं उसके बिना अन्य सारे अनुष्ठान निष्फल हो जाते हैं। सामाजिक जीवन भी उसके बिना सुखद नही हो सकता।
मुनि श्री ने कहा- संयम, समता, सहजता, शांति आदि अध्यात्म के आदर्शो का आलम्बन लेकर हम चित्त समाधि के साथ जी सकते हैं।
मुनिश्री काव्य कुमारजी ने चित्त समाधि में जीने को मानसिक हिंसा से बचने की, ज्ञान के अनुरूप आचरण करने की एवं सहनशीलता का विकास करने पर बल दिया। कार्यक्रम में तेरापंथ युवक परिषद द्वारा “रक्षा बँधन कार्यशाला” के बेनर का अनावरण किया गया। ते. यु.प मंत्री कमलेश चोपड़ा, ते.मं.मं. मंत्री आशाजी कोठारी ने सूचनाएं दी।