नंदनवन (मुंबई)। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के पावन सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में तेरापंथ कन्यामण्डल के त्रिदिवसीय 19 वें राष्ट्रीय कन्या मंडल अधिवेशन “उजाला – Be the light, Spread the light ” का हुआ मुम्बई के नंदनवन परिसर में आयोजन हो रहा है। अधिवेशन के तीसरे दिन मुंबई कन्यामण्डल द्वारा मंगलाचरण की सुंदर प्रस्तुति दी गई।
आचार्यश्री महाश्रमणजी ने कन्याओ को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य को अपने जीवन मे कुछ बनने का लक्ष्य बनाना चाहिए और उसे प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। लक्ष्य ऐसा ही कि जीवन धन्य बन जाये। अध्यात्म के शास्त्र में कहा गया कि जीवन क्यों जिये ताकि पूर्ण कर्म को क्षय कर सके। मोक्ष प्राप्त कर सके इसलिए इस शरीर को प्राप्त किया।
कन्यामण्डल अधिवेशन का यह तीसरा दिवस है। कन्याओ में बहुत प्रतिभा देखने को मिलती है। कन्याओ में शिक्षा का अच्छा विकास हुआ है। उनकी ज्ञानात्मक क्षमता अपने आप मे उजाला है। उजाला की निष्पत्ति उज्जवलता होनी चाहिए। उजाला जीवन के पथ को प्रशस्त करता रहे। झूठ बोलने ,चोरी की आदत न हों, ईमानदारी हो, अनावेश की स्थिति न हो, ये भी एक उज्वलता है। दुराग्रह नही करना चाहिए, अच्छी बात का कही कही आग्रह हो,जीवन मे व्यवस्थता आ जाये पर चित में प्रसन्नता बनी रहे ऐसे बुद्धिमत्ता से कम करने का प्रयास हो, ये कला कन्याओ को सीखनी चाहिए। महिलामण्डल द्वारा जो भी पाठ्यक्रम तत्वज्ञान आदि चलाये जाते है उनसे जुड़कर ज्ञान का विकास करे। उजाला जीवन का आधा हिस्सा है । बौद्धिक शिक्षा के साथ धार्मिक शिक्षा का भी विकास हो। वक्तव्य शैली का विकास हो। मोक्ष का लक्ष्य सामने रखते हुए कन्याओ का सर्वागीण विकास हो।
श्रद्धेया साध्वीप्रमुखा श्रीविश्रुतविभा जी ने मंगल उदबोधन देते हुए फरमाया कि परमपूज्य आचार्यश्री जी की सनिधि में 19 वा अधिवेशन समाप्त होने जा रहा है। अधिवेशन का पहला मूल आयना है। हम अतीत का अवलोकन करते हुए भविष्य का दिशादर्शन दिया जाता है। सबसे पहले उजाला ही प्राप्त हुआ है। उन्हें आचार्यवर ने जो समय दिया उससे कन्याए तृप्त हुई है। कन्याओ के द्विवर्षीय कार्यक्रम की प्रस्तुति कन्यामण्डल प्रभारी अर्चनाजी ने गुरुदेव के समक्ष प्रस्तुत किया। जैसे महिलामण्डल के पास अपनी योजनाएं है जिससे उनका उत्थान हो रहा है वैसे ही क्यों नही हम कन्याओ को भी कोई स्थायी योजना से जोड़ दिया जाए। कन्याओ के सामने कोई ठोस योजना होनी चाहिए । ताकि उनका टेलेंट सामने आए। उसी दिशा में ठोस कार्य करे।
कन्याए आंतरिक प्रकाश प्राप्त करना चाहती है। इसके लिए आध्यात्मिक मूल्यों को अपने जीवन मे महत्व देना होगा तभी आप अपने भीतर के उजाले को प्राप्त कर सकते हो। उसके लिए मेडिटेशन, स्वाध्याय, साधु साध्वियों का सानिध्य व छोटे छोटे त्याग आदि के माध्यम से उजाला प्राप्त कर सकते है। कन्याएं फैमेली velue को भी महत्व दे ताकि उजाला प्राप्त हो।
राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती नीलमजी सेठिया ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि तीन आचार्यो व साध्वीप्रमुखाश्रीजी कन्याओ के भविष्य को सँवारा है, विकास में सहयोगी बने है। कन्याओ से समाज व देश का विकास जुड़ा है। गुरुओ के प्रयास से आज कन्याएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ती जा रही है। गुरुदेव की अनुकम्पा से मंजिल को पाना चाहती है। गुरूदेव आपश्री के मार्गदर्शन से हमारी बेटियां अपने आध्यात्मिक जीवन मे आगे बढ़ती जाये, अपने संस्कारो के संग अपने जीवन मे आगे बढ़े। तीन दिनों में चातुर्मास व्यवस्था समिति, मुम्बई महिलामण्डल व कन्यामण्डल का सहयोग प्राप्त हुआ है सभी का बहुत आभार।
कन्यामण्डल प्रभारी श्रीमती अर्चनाजी भंडारी ने द्विवर्षीय प्रतिवेदन ,कन्याओ की प्रवृति की निष्पत्ति को गुरुदेव के समक्ष समर्पित किया। अंत मे आचार्यप्रवर के चरणों मे बहुत बहुत कृतज्ञता ज्ञापित की।
कन्या मंडल अधिवेशन – तीसरे दिन Be the light, Spread the light” का आयोजन
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