पर्वतपटिया। आचार्य महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी हिम श्री जी के सान्निध्य में श्री जैन श्व़ैताम्बर तेरापंथ सभा पर्वत पाटिया में आचार्य भिक्षु का 298 वां जन्म दिवस तथा 266 वां बोधि दिवस के उपलक्ष में साध्वी श्री हिम श्री जी ने मंगल उद्धबोधन में कहा -आचार्य भिक्षु ने तेरापंथ धर्म संघ के विशाल सुसंगठित मर्यादित मानचित्र पर समर्पण संगठन सहिष्णुता की लकीरें खिंची। समर्पण की बुनियाद पर भिक्षु ने सदृढ़ इमारत खङी की थी। आचार्य भिक्षु ने जिस संगठन चेतना को रोशनी दि वहां एक के लिए सब, सबके लिए एक सिर्फ नारा ही नहीं बना उसका जिवन आदर्श रहे।
आपने आगे कहा इतिहास साक्षी है कि धर्म के नाम पर फैलने वाली रुढियों का उनमूलन जिन -जिन लोगों ने किया उनको कष्टों का सामना करना पङा। आचार्य भिक्षु ज्ञान दर्शन चारित्र बोधि से सम्पन्न थे। भिक्षु में बोधि की शक्ति के साथ -2 समाधान देने की अद्धभुत शक्ति थी।
कार्यक्रम ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं द्धारा भिक्षु अष्टकम् से प्रारम्भ हुआ। शासन श्री साध्वी रमावती जी ने कहा आचार्य भिक्षु की जो बोधि थी वह आन्तरिक विशुद्धि से प्राप्त थी। इस अवसर पर साध्वी चारु प्रभा जी साध्वी चैतन्य यशा जी ने कविता एंव गितिका के माध्यम से अपनी भावना व्यक्त हम। साध्वी मुक्ति यशा ने कार्यक्रम का कुशलता पूर्वक संचालन किया।
भिक्षु ज्ञान, दर्शन, चारित्र बोधि से सम्पन्न थे – साध्वी श्री हिमश्री जी
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