जयपुर से लौटकर पंकज श्रीवास्तव।।
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 का ऊंट आखिर किस करवट बैठेगा, यह बडा सवाल है। राजधानी जयपुर हो या जोधपुर तपती गर्मी में अगर आप वोटरों का मिजाज टटोलने निकलेंगे तो सीधा जबाब नहीं मिलने वाला है। हाँ आपसे जरुर पूछा जायेगा, क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस का किला बचा लेंगे? दूसरा सवाल होगा चुनावी समर में उतरने के पूर्व बगावत का झंडा लिये सचिन पायलट को कैसे नियंत्रण में रखे पायेगी कांग्रेस अलाकमान?
बहरहाल आप वोटरों के इन्हीं प्रश्न से प्रश्न निकाल कर उन्हीं से जबाब भी पा लेंगे। अब हर बात का विरोध करने वालों को छोड दीजिए। आप एक बात कॉमन पायेंगे कि कोई मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गलत नहीं कहेगा। नेहरु खानदान के पुराने और विश्वासी अशोक गहलोत ने न सिर्फ राजस्थान की जनता का दिल जीता है बल्कि समय-समय पर सचिन पायलट के विद्रोह को सफलतापूर्वक खारिज भी किया है। इसमें भी कहीं कोई संदेह नहीं, राजस्थान की सत्ता अगर कांग्रेस के हाथ से निकली तो इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ सचिन पायलट जिम्मेदार होंगे। वजह भी स्पष्ट है तकरीबन 40 सीटों पर उनका जबर्दस्त प्रभाव दिख रहा है। ये वही सीट हैं जहाँ गुर्जर मतदाताओं की तूती बोलती है। अब यहाँ दो बडे सवाल उठते हैं कि क्या सचिन पायलट इतने अनुभवी हैं कि वह खुद अपनी पार्टी खडा कर खुद को मुख्यमंत्री बनने लायक संख्या ला सकते हैं? इसका जबाब है, प्रशांत किशोर की राजनीतिक सलाहकार फर्म I-PAC जो उन्हें सेवा दे रही है। जाहिर है प्रशांत किशोर की राजनीतिक सलाहकार फर्म ने कई राजनीतिक दल को सत्तारुढ होने में अपनी भूमिका साबित की है। अब सवाल सचिन पायलट अगर अपनी पार्टी बनाकर मैदान में उतरते है तो सिर्फ कांग्रेस को नुकसान होगा? इस सवाल का जबाब धरातल पर तो यही मिलता है कि नहीं यहाँ भाजपा को भी नुकसान होगा।
अब सवाल है आखिर भाजपा के पास इसका क्या काट है तो सीधा जबाब है वहीं हिन्दू- मुसलमान कार्ड। इसके लिए ‘अजमेर 92’ फिल्म तैयार है। अब सुरभि सलोनी के पाठक पूछेंगे कि ये क्या बला है? दरअसल अजमेर 92 एक रियल बेस्ड स्टोरी बतायी जा रही है। इस मूवी का केन्द्र होगा ‘अजमेर’। जहाँ सालों पहले 100 से ज्यादा स्कूली लड़कियों को ब्लैकमेल किया गया था फिर उनका शारीरिक दोहन किया गया।
खैर, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि फिल्म का कितना असर होता है, और सचिन पायलट का जादू कितना किस पर चल पाता है। भाजपा-कांग्रेस दोनों खेमा मैदान में जुटा हुआ है। इस बार अशोक गहोलत सत्ता बचा पाते हैं या भाजपा पुनः राजस्थान की सत्ता में वापसी करने में कामयाब होती है।