- शांतिदूत के स्वागत में पालघर बना महाश्रमणमय
- अनेक वर्ग–समुदाय के प्रतिनिधियों ने की आचार्यश्री की अभिवंदना
02.06.2023, शुक्रवार, पालघर, पालघर (महाराष्ट्र)। अपनी अणुव्रत यात्रा द्वारा सद्भावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति का संदेश देकर मानवीय मूल्यों की शिक्षा देने का महान कार्य कर रहे शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी का आज पालघर जिला मुख्यालय में भव्य स्वागत हुआ। सूर्योदय पश्चात आचार्यश्री ने काम्बलगांव में स्थित आचार्य श्री महाप्रज्ञ विद्या निधि फाउंडेशन के कॉलेज परिसर से मंगल विहार किया। आचार्यश्री का एक दिवसीय प्रवास प्राप्त कर संस्थान परिवार धन्यता की अनुभूति कर रहा था। मुंबई चातुर्मास के लिए गतिमान आचार्यश्री विहार करते हुए जैसे ही पालघर क्षेत्र में पहुंचे तो श्रद्धालु श्रावक समाज स्वागत में उमड़ पड़ा। आचार्य बनने के पश्चात गुरुदेव के प्रथम बार क्षेत्र में आगमन से हर वर्ग समुदाय में हर्षोल्लास का माहोल दिखाई दे रहा था। राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ–साथ सामाजिक, धार्मिक, प्रशासनिक वर्ग से जुड़े प्रतिनिधि भी युगप्रधान का स्वागत कर रहे थे। जुलूस में उपस्थित श्रावक समाज जय जय ज्योतिचरण जय जय महाश्रमण के जयघोषाें से वातावरण को गुंजायमान कर रहा था। ऐसा लग रहा था मानों पालघर आज महाश्रमण मय बन गया हो। मार्ग में स्थानीय तेरापंथ भवन एवं जैन स्थानक को गुरुदेव ने अपने चरणों से पावन बनाया। लगभग 9.5 किमी विहार कर आचार्य श्री का कंचन वाटिका में पावन पदार्पण हुआ।
मंगल प्रवचन में धर्म सभा को उद्बोधन प्रदान करते हुए गुरुदेव ने कहा– दुनियां में ज्ञान का बड़ा महत्व है। हर क्षेत्र में ज्ञान उपयोगी है चाहे अध्यात्म का क्षेत्र हो, व्यवहार का क्षेत्र हो या सामाजिक आदि क्षेत्र हो ज्ञान जरूरी होता है। ज्ञान भीतर का भी हो सकता है व स्वाध्याय, अध्ययन आदि के द्वारा भी ज्ञान अर्जन किया जा सकता है। आवश्यकता है कि ज्ञान के साथ हमारा आचार भी पुष्ट होना चाहिए। अच्छे कपड़े, अच्छा चेहरा व अच्छे आभूषणों का अपना कुछ महत्व हो सकता है, पर मुख्य बात है ज्ञान का महत्व इन सबसे बढ़कर है। ज्ञान व अच्छे आचरण के अभाव में अच्छे कपड़े, अच्छा चेहरा व आभूषण व्यक्ति की गुणवत्ता को नहीं बढ़ा सकते।
शांतिदूत ने आगे कहा कि गाय देखने में बहुत सुन्दर हो पर दूध नहीं देती तो किस काम की ? डाक्टर बहुत अच्छे कपड़े पहनकर भी यदि रोग का ईलाज नहीं कर सके तो वह किस काम का। हमें रूपवत्ता से ज्यादा महत्व गुणवत्ता को देना चाहिए। व्यक्ति के जीवन में सद्गुण रहे। अणुव्रत के द्वारा हम सद्भावना का संदेश दे रहे है। इंसान पहले इंसान है फिर हिंदू या मुसलमान है। मनुष्य में इंसानियत के भाव रहे। व्यक्ति सद्गुणों से जीवन को अच्छा बनाए यह जरूरी है। साथ ही ईमानदारी के गुण जीवन में हो, नशे जैसी बुरी वृत्ति ना हो तो जीवन निर्मल बन सकता है।
पालघर पधारने के संदर्भ में गुरुदेव ने कहा– आज हमारा पालघर में आना हुआ है। श्रावक समाज में। आध्यात्मिक जागरना होती थे। धार्मिक गतिविधियां चलती रहे। जनता में भी सद्गुण आचरण में आए यह काम्य है।
इस अवसर पर साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभा जी का सारगर्भित वक्तव्य हुआ। अभिव्यक्ति के क्रम में आमदार श्रीनिवास वणगा, मौलाना शमकल हक शेख (सुनी जामा मस्जिद), तेरापंथी सभा अध्यक्ष श्री देवीलाल सिंघवी, मंत्री हितेश बदामिया, श्रीमती संगीता बाफना, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष श्री कांति परमार, अणुव्रत समिति अध्यक्ष श्रीमती रेणुका बाफना, पालघर नगराध्यक्ष श्रीमती उज्जवला काले व श्री शांतिलाल जैन ने पूज्यप्रवर के स्वागत में अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ कन्या मण्डल व तेरापंथ किशोर मण्डल ने पृथक्-पृथक् स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी।