दादरा नगर नगर हवेली में अध्यात्म के शिखरपुरुष महाश्रमण का मंगल पदार्पण

  • भारत के तीसरे केन्द्रशासित प्रदेश में महातपस्वी महाश्रमण का मंगल शुभागमन
  • भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री पधारे दादरा में स्थित दूगड़ पॉलीमार लिमिटेड
  • साधना से प्राप्त होता है शाश्वत सुख : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण

23.05.2023, मंगलवार, दादरा (दादरा नगर हवेली)। सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति रूपी संकल्पों द्वारा जन-जन का कल्याण करने को निकले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगलवार को भारत के एक और केन्द्रशासित प्रदेश दादरा नगर हवेली को अपने पदरज से पावन बना दिया है। ज्योतिचरण के आगमन से इस केन्द्रशासित प्रदेश में मानों अध्यात्म का वातावरण छा गया। मानवता के मसीहा के दर्शन और स्वागत को श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। जन-जन को अपने आशीष से अभिसिंचत करते हुए आचार्यश्री दादरा में स्थित चंदनतारा दूगड़ परिवार के फैक्ट्री परिसर में पधारे। अपने आराध्य को अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में पाकर दूगड़ परिवार के सदस्य भावविभोर थे।
9 नवम्बर 2014 को भारत की राजधानी नई दिल्ली से अहिंसा यात्रा को लेकर निकले अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भारत के 20 राज्यों और नेपाल व भूटान में अध्यात्म की गंगा बहाने के साथ-साथ भारत के दो केन्द्रशासित प्रदेशों दिल्ली और पुदुचेरी को भी पावन किया था। उसके उपरान्त एक वर्षीय अणुव्रत यात्रा का कुशल नेतृत्व करते हुए आचार्यश्री भारत की मायानगरी में प्रवेश करने से पूर्व मंगलवार को भारत के एक और केन्द्रशासित प्रदेश दादरा नगर हवेली को अपने पदरज से पावन बना दिया।
मंगलवार को गुजरात राज्य के वापी से प्रातःकाल अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल प्रस्थान किया। आचार्यश्री लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर गुजरात राज्य की सीमा को अतिक्रान्त कर भारत के एक और केन्द्रशासित प्रदेश दादरा नगर हवेली में की सीमा में प्रविष्ट हुए तो दर्शनार्थियों का हुजूम उमड़ पड़ा। मानवता के मसीहा के अभिनंदन को आतुर भक्तिमान मानव बुलंद जयघोष के माध्यम से अपने आंतरिक भावों को अभिव्यक्त कर रहे थे। इसके साथ ही आचार्यश्री के पावन पदरज से भारत का तीसरा केन्द्रशासित प्रदेश पावनता को प्राप्त हुआ। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री दादरा में स्थित चंदनतारा दूगड़ परिवार के दूगड़ पालिमॉर लिमिटेड में पधारे। अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में दूगड़ परिवार के सदस्यों ने अपने आराध्य का भावभीना अभिनंदन किया।
फैक्ट्री परिसर में आयोजित मंगल प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं को शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि संसार का हर प्राणी अपने जीवन को सुखी बनाना चाहता है। इसके लिए वह अनेक प्रयास भी करता है। शास्त्र में दो प्रकार के सुखों का वर्णन किया गया है- पहला सुख है तात्कालिक अथवा क्षणिक सुख और दूसरा है शाश्वत सुख। पहला सुख जो जीवन में प्राप्त अनुकूलताओं यथा भौतिक संसाधनों से प्राप्त होने वाले सुविधाओं से प्राप्त होता है। सुख उसे भी कहा जा सकता है, किन्तु संसाधनों से प्राप्त सुख तात्कालिक सुख होता है।
आदमी तात्कालिक सुख के लिए इतना प्रयास करता है तो उसे शाश्वत सुख की प्राप्ति का भी प्रयास करना चाहिए। शाश्वत सुख की प्राप्ति संसाधनों से नहीं, साधना से प्राप्त होती है। जिस आदमी के जीवन में जितनी साधना होती है, उसे उतनी शाश्वत सुख की प्राप्त हो सकती है। इसके लिए आदमी को आरामतलबी जीवन का त्याग कर श्रमशील बनना होगा। प्रतिकूल परिस्थितियों को भी सहने की क्षमता का विकास हो। जीवन में तपस्या, परिश्रम और साधना हो तो कुछ विशेष प्राप्त किया जा सकता है। आदमी को शाश्वत अर्थात् आत्मिक सुख की प्राप्ति के लिए कामनाओं का भी त्याग करने का प्रयास करना चाहिए।
गृहस्थ जीवन में अर्थ (पैसा) को भी लौकिक तौर पर भगवान भी कहा गया है। आदमी को अर्थ के अर्जन में ईमानदारी और प्रमाणिकता को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने दादरा आगमन के संदर्भ में कहा कि आज भारत गणराज्य के एक केन्द्रशासित प्रदेशर दादरा में आना हो गया है। दूगड़ परिवार से जुड़े इस स्थान में आना हुआ है। यहां के लोगों में और जनता में मानवीय मूल्यों का विकास होता रहे, मंगलकामना।
कार्यक्रम में साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने उपस्थित जनता को उद्बोधित किया। कार्यक्रम में उपस्थित स्वामी नारायण गुरुकुल सेलवाल के वरिष्ठ मुनि कपिलजीवनदासजी ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। चंदनतारा दूगड़ परिवार की ओर से श्री मनोज दूगड़, श्री राजेश दूगड़, श्री युग सुराणा, श्रीमती सुनीता सुराणा, श्रीमती खुशबू दुगड़, श्री भूपेश कोठारी, गुरुद्वारा कमेटी के सुवीन्द्र सिंह सरना व श्री नरेन्द्र सुराणा ने श्रद्धाभिव्यक्ति दी। दूगड़ परिवार की महिलाओं व तेरापंथ महिला मण्डल-सिलवासा के सदस्याओं ने अपने-अपने स्वागत गीत का संगान किया। सिलवासा ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति के माध्यम से अपने आराध्य की अभ्यर्थना की। कार्यक्रम में सिलवासा नगरपालिका के चेयरमेन श्री राकेश चौहान व कलेक्टर श्रीमती भानुप्रभा आदि ने आचार्यश्री के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।

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