पलसानावासियों ने अपने आराध्य का किया भावभीना अभिनंदन

  • पलसाना में राष्ट्रसंत आचार्यश्री महाश्रमण का पावन पदार्पण 
  • 12 कि.मी. का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे एस.डी.जे. इण्टरनेशनल स्कूल
  • जीवन बने आत्मानुशासित : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
  • पलसानावासियों ने अपने आराध्य की अभिवंदना में दी भावनाओं को प्रस्तुति

सूरत (गुजरात)। सिल्कसिटि से मायानगरी मुम्बई की गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी का अपनी धवल सेना संग पलसाना की धरती पर पावन पदार्पण हुआ तो पलसानावासी भावविभोर हो उठे। अपने आराध्य का भक्तिपूर्वक स्वागत किया। आचार्यश्री पलसाना के एस.डी.जे. इण्टरनेशनल स्कूल में पधारे। जहां आचार्यश्री का एकदिवसीय प्रवास हुआ।
शनिवार को प्रातः की मंगल बेला में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने सचिन से मंगल प्रस्थान किया। सचिनवासियों ने अपने आराध्य के श्रीचरणों में अपने कृतज्ञभाव अर्पित किए तो आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। आचार्यश्री सिल्कसिटि की यात्रा सम्पन्न कर मायानगरी, देश की आर्थिक राजधानी के रूप में विख्यात मुम्बई की ओर गतिमान हैं। जहां आचार्यश्री का वर्ष 2023 का चतुर्मास सहित लम्बा प्रवास होना निर्धारित है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर गतिमान आचार्यश्री की यात्रा राहगीरों को साश्चर्य निहारने पर विवश कर रही थी। आधुनिकता की इस दौड़ में राजमार्ग पर दौड़ती गाड़ियों से लोग जीव मात्र पर दया और कल्याण की भावना से पदयात्रा करते हुए राष्ट्रसंत अनजान लोगों के लिए तो मानों अलौकिक ही दिखाई दे रहे थे। राजमार्ग के दोनों खेतों में कहीं-कहीं गन्ने, तो सब्जी तो कहीं अन्य लहलहाती फसलें और जगह-जगह बनी गगनचुम्बी इमारतों, कल-कारखाने गुजरात की समृद्धता को दर्शा रहे थे।
लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री पलसाना में पधारे तो पलसानावासियों ने अपने आराध्य का भावभीना अभिनंदन किया। आचार्यश्री प्रवास हेतु एस.डी.जे. इण्टरनेशनल स्कूल में पधारे तो विद्यालय परिवार के सदस्यों ने आचार्यश्री का अभिनंदन किया।
स्कूल परिसर में आयोजित मंगल प्रवचन में आचार्यश्री ने समुपस्थित जनता को मंगल संबोध प्रदान करते हुए कहा कि संसार के सभी प्राणी सुखी जीवन जीना चाहते हैं। कोई ऐसा प्राणी नहीं होगा, जो सुखी जीवन की कामना नहीं करता होगा। सुखी जीवन प्राप्ति के लिए शास्त्र में आत्मा का दमन करने की प्रेरणा दी गई है। हालांकि आत्मा का दमन करना तो मुश्किल है, किन्तु जीवन को सुखमय बनाने के लिए आत्मा का दमन अर्थात अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त करना आवश्यक है। प्रत्येक प्राणी दुःख से डरता है। दुःख उत्पत्ति भी प्राणियों द्वारा किए गए प्रमाद से ही होती है, इसलिए आदमी को अपनी आत्मा को अनुशासित बनाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि आत्मा प्रमाद से बची रह सके। इस दुःख के जगत से पार पाने के लिए आदमी को आत्मानुशासन के भाव को पुष्ट बनाने का प्रयास करना चाहिए। कर्त्तव्य और अनुशासन के बिना तो लोकतंत्र का देवता भी मृत्यु और विनाश को प्राप्त हो सकता है। इसलिए परिवार में हों, समाज में हों, स्कूल में हों, राष्ट्र में हों, प्रत्येक जगह अनुशासन की आवश्यकता होती है। जो आदमी स्वयं पर अनुशासन कर लेता है, वह दूसरों पर भी अनुशासन कर सकता है। जिसका स्वयं पर अनुशासन नहीं होता, वह दूसरों पर भला क्या शासन कर सकता है। इसलिए आदमी को अपनी आत्मा को अनुशासित बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। इस लोकतांत्रिक प्रणाली में भी जितनी शुद्धता रहे, सच्चाई, ईमानदारी व परस्पर सौहार्द्र का भाव रहे।
आचार्यश्री ने आगे कहा कि आज इस विद्या संस्थान में आना हुआ है। सूरत के प्रवास के दौरान भी इस संस्थ से जुड़े स्थान में जाना हुआ था। विद्यार्थियों के जीवन में भी अनुशासन रहे, अच्छा ज्ञान और अच्छे संस्कार प्राप्त होते रहें। पलसानावासियों के जीवन में सब अच्छा रहे, मंगलकामना।
मंगल प्रवचन के उपरान्त स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री कैलाश चपलोत, पारस एजुकेशन ट्रस्ट के चेयरमेन श्री कैलाश जैन व स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती शालीनी ओझा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ कन्या मण्डल व ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपने-अपने गीतों का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति भी दी। आचार्यश्री ने पलसानावासियों को पावन आशीर्वाद प्रदान किया।

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