सतयुग के पर्याय है आचार्य श्री महाश्रमण: मुनिश्री जिनेश कुमार जी
साल्टलेक (कोलकाता)। युगप्रधान, महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के 14 वें पदाभिषेक दिवस के प्रसंग पर “अभ्यर्थना समारोह” का आयोजन श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, सॉल्टलेक द्वारा मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में उदयांचल टूरिज्म प्रोपर्टी के हॉल में किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा – जो प्रमाद की नींद में सोता है उसके लिए हर समय कलियुग है। जो अंगड़ाई लेकर जागने का प्रयास करता है उसके लिए द्वापर है। जो आगे बढ़ने के लिए तत्पर है उसके लिए त्रेता है और जो लक्ष्य की ओर निरंतर वर्धमान है, उसके लिए सतयुग है। इस सुभाषित के अनुसार युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का गतिशील और प्राणवान व्यक्तित्व सतयुग का पर्याय है। उनके सान्निध्य में नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार होता है। चरैवेति उनका जीवन मंत्र है। उनके चिंतन में रुढिवाद और यथास्थिति का आग्रह, नहीं है। प्रज्ञा और पुरुषार्थ की तुलिका से वे जीवन की पुस्तक में → हर वर्ष नया रंग भरते हैं इसलिए वे जन-जन की श्रद्धा के केन्द्र और प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। वे श्रमण परम्परा के तेजस्वी श्रमण ही नहीं अपितु महातपस्वी महाश्रमण है। वे निस्पृह, निर्भीक, निरभिमान, जितेन्द्रिय साधक है। वे तत्त्ववेता, विधिवेत्ता व आगमवेत्ता हैं। उनके शासनकाल में अनेक कीर्तिमान स्थापित हुए हैं और हो रहे हैं। आज उनका 14 वाँ पदाभिषेक दिवस हम सभी हर्षोल्लास पूर्वक मना रहे हैं। पदाभिषेक दिवस पर उनके संदेशों को जीवन में अपनाने का संकल्प करेगें तभी समारोह की सार्थकता हो सकेगी। मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने आगे कहा- आचार्य श्री महाश्रमण जी का जीवन अध्यात्म निष्ठा, संघनिष्ठा, आज्ञानिष्ठा, मर्यादा निष्ठा, सिद्धान्त निष्ठा और आगमनिष्ठा से ओत: प्रोत है। उनकी अहिंसा यात्रा और अणुव्रत यात्रा जन जन के कल्याण का माध्यम बनी है और बन रही है। इस अवसर पर मुनिश्री परमानंद जी ने कहा आचार्य श्री महाश्रमण जी पुरुषार्थ के परम देवता व अप्रमतता के प्रहरी है। बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया
इस अवसर पर महासभा के मुख्य न्यासी सुरेशजी गोयल, साल्टलेक सभा की ओर से उपासक प्रकाश सुराणा, तेरापंथ युवक परिषद पूर्वांचल के अध्यक्ष राजीव खरेड़, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम पूर्वांचल के अध्यक्ष प्रवीण सुराणा, ज्ञानशाला संयोजक अशोक भूतोड़िया ने आचार्य अभ्यर्थना में अपने विचार व्यक्त किये । साल्टलेक व पनास ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों व प्रशिक्षिकाओं ने लघु संवाद के माध्यम से सुन्दर प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मंडल पूर्वांचल ने आचार्य अभ्यर्थना गीत माध्यम से मंगलाचरण प्रस्तुत किया । मुनिश्री द्वारा आगम पद्यों के उच्चारण से आचार्य श्री की अभ्यर्थना की गई। आभार ज्ञापन सभा के मंत्री विनोद संचेती ने किया।
कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंद जी ने किया। इस अवसर पर अच्छी संख्या श्रद्धालुगण उपस्थित है। कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यकर्ताओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।