गुएना: भारत का अब तक का सबसे भारी-भरकम उपग्रह ‘जीसैट-11’ सफलतापूर्वक लांच कर दिया गया है। इसे यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एरियानेस्पेस के एरियाने-5 रॉकेट से फ्रेंच गुआना से प्रक्षेपित किया गया। उच्च प्रवाह क्षमता वाले इस संचार उपग्रह का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने किया है।
जानें कितना विशालकाय है यह उपग्रह
– 5,854 किलोग्राम है जीसैट-11 उपग्रह का वजन
– 04 मीटर हैं इसके हरेक सौर पैनल की लंबाई
– 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर होगा स्थापित
– 15 साल से अधिक होगा इसका जीवनकाल
– 500 करोड़ रुपये लगभग है इसकी लागत
इंटरनेट की रफ्तार बढ़ाने में मददगार
40 ट्रांसपॉण्डर लगे हैं इस उपग्रह में कू-बैंड और का-बैंड आवृत्तियों में
14 गीगाबाइट प्रति सेकंड की दर से डाटा भेजने में सक्षम हैं ये ट्रांसपॉण्डर
-इस तरह यह उच्च बैंडविड्थ संपर्क प्रदान करने में सक्षम है
-इससे देश में इंटरनेट की रफ्तार में उल्लेखनीय सुधार आएगा
-सूचना तकनीक के और उन्नत उपकरण बनाए जा सकेंगे
-ग्राम पंचायतों तक को इसके जरिये कवर किया जा सकेगा, जिससे ई-गवर्नेंस को बढ़ावा मिलेगा
-ज्यादा से ज्यादा इंटरनेट उपभोक्ताओं के डाटाबेस का संचालन करने में इससे मदद मिलेगी
ट्रांसपॉण्डर क्या है
विशिष्ट संकेतों को ग्रहण करने के लिए तैयार किया गया विद्युतीय उपकरण है जो स्वचालित रूप से विशिष्ट उत्तर भी भेजता है
सीमित बीम, मजबूत सिग्नल
– यह भारत की मुख्य भूमि और आसपास के द्वीपों तक सुविधा प्रदान कर सकेगा
– यह कई स्पॉट बीम का उपयोग करता है जो इंटरनेट की गति और संपर्क को बढ़ाएंगे
– स्पॉट बीम विशेष रूप से केंद्रित संकेत है जो उपग्रह का भौगोलिक क्षेत्र तय करता है
– बीम अर्थात किरण जितना सीमित होगा, क्षमता उतनी ही ज्यादा होगी
– पूरे देश को कवर करने के लिए उपग्रह बीम का कई बार प्रयोग करेगा
इंटरनेट क्रांति के लिए चार उपग्रह
– देश में इंटरनेट क्रांति के लिए चार उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना है
– इनमें से जीसैट-1 9 व जीसैट-29 पहले ही प्रक्षेपित किए जा चुके हैं
– जीसैट-11, 5 दिसंबर को रात 2:07 से 3:23 बजे के बीच छोड़ा जाएगा
– जीसैट-20 अगले साल प्रक्षेपित किया जाएगा
इसरो अध्यक्ष के शिवन के अनुसार, उच्च प्रवाह क्षमता वाले चार उपग्रहों का प्रक्षेपण साल 2019 से देशभर में 100 से अधिक गीगाबाइट की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
जीसैट-6ए की नाकामी से सबक
– जीसैट-11 को पहले 25 मई को प्रक्षेपित किया जाना था
– लेकिन अप्रैल में जीसैट-6ए का मिशन असफल हो गया
– ऐसे में इसरो ने जीसैट-11 की प्रक्षेपण तिथि आगे बढ़ा दी
– इस दौरान उसकी अतिरिक्त तकनीकी जांच की गई
– जीसैट-11 को पहले स्थानांतरण कक्षा में भेजा जाएगा
– वहां से इसे भू-स्थैतिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा