मुंबई। अध्यात्म के सुमेरू आचार्य श्री महाश्रमण की प्रबुद्ध शिष्या साध्वी श्री जिनरेखाजी व शासनश्री साध्वी श्री सोमलताजी के सान्निध्य में चेम्बूर तेरापंथ भवन में साध्वीवृंद सहित संपूर्ण श्रावक-श्राविकाओं ने तेरापंथ धर्म संघ की मदर टेरेसा, असाधारण, संघ महानिदेशिका, शासन माता साध्वी प्रमुखा श्री कनकप्रभाजी की प्रथम पुण्य तिथि पर जप, तप से श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम का आगाज महिला मंडल के मधुर संगान से हुआ। शासन श्री साध्वी श्री जिनरेखाजी ने कहा कि प्रेरक संस्मरणों की तरुण तरुणिमा, साध्वी समाज की अरुण अरुणिमा, सप्त प्रमुखा के विलक्षण गुणों से निर्मित दिव्य प्रतिमा है।
शासन श्री साध्वी साध्वी श्री सोमलताजी ने सोमामृत का पान कराते हुए कहा स्नेहमयी मां के गुणों की महिमा का अंकन करना छलनी में भी पानी भरने के समान दुष्कर है। आप विराट गुणों की गुलदस्ता हैं। विनम्रता, श्रमशीलता, अप्रमत्तता, आचार कुशलता, सतत जागरूकता, सहिष्णुता, विवेकशीलता से ही गुरु प्रसाद स्वरूप शासन माता के अलंकरण से सुशोभित हुई। आपकी दिव्य शक्ति और ऊर्जा से मैं निरंतर आत्म रमण करती रहूं।
साध्वी श्री मधुर यशाजी, जागृत प्रभाजी ने कविता के माध्यम से अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। साध्वी श्वेतप्रभा ने संस्मरण सुनाए। साध्वी संचि यशा, श्वेत प्रभा, रक्षित यशाजी ने इसका मुझे पता नहीं लाफिंग एक्ट के द्वारा सबको लोट पोट कर दिया। साध्वी शकुंतला कुमारीजी, धवलप्रबाजी ने गीत का संगान किया।
साध्वी वृंद ने माधुर्य रस से परिपूर्ण “शासन माते” हमको दीदार दिखा देना। सब ढूंढ रहे कबसे, आवास बता देना” गीत का संगान किया तो ओम अर्हम की ध्वनि से भवन गूंज उठा। मुंबई सभा के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्रजी तातेड़ ने गीत के द्वारा तथा प्रभा देवी ने अपनी बात रखी।
चेम्बूर भवन में तेरापंथ धर्मसंघ की हीरकणि की पुण्यतिथि का समायोजन
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