- सवाऊ पदमसिंह में युगप्रधान के स्वागत में उमड़े श्रद्धालु
- विद्यार्थियों ने स्वीकार किया नशामुक्ति का संकल्प
21.01.2023, शनिवार, सवाऊ पदमसिंह, बाड़मेर (राजस्थान)। तेरापंथ धर्मसंघ की यशस्वी आचार्य परंपरा के ग्यारहवें पट्टधर जैन धर्म के प्रभावक आचार्य श्री महाश्रमण जी अपनी धवल सेना के साथ बायतु की ओर मर्यादा महोत्सव हेतु गतिमान है। जहां दिनांक 25 से 29 जनवरी तक के प्रवास में तेरापंथ धर्मसंघ के सबसे विशिष्ट महोत्सव मर्यादा महोत्सव का आयोजन होगा। प्रातः लालुराम की ढाणी से आचार्यश्री ने मंगल प्रस्थान किया। मरुभूमि में चारों ओर फैली रेतीली धरा, शरीर में ठिठुरन पैदा करती सर्द हवाओं के मध्य जनोद्धार के परम लक्ष्य के साथ समता साधक ज्योतिचरण महाश्रमण निश्चलता से गतिमान हुए। लगभग 08 किमी विहार कर गुरुदेव का सवाऊ पदमसिंह पदार्पण हुआ। एक दशक पश्चात अपने ग्राम ने आराध्य के आगमन से अतिशय हर्षित श्रद्धालु जय घोषों से अपने गुरु की आगवानी कर रहे थे। स्थानीय राजकीय विद्यालय में आचार्यवर प्रवास हेतु पधारे।
मंगल प्रवचन में धर्म देशना प्रदान करते हुए युगप्रधान ने कहा भारतीय दर्शन में कर्मवाद की बात आती है। जैसा व्यक्ति कार्य करता हैं वैसा ही उसका फल मिलता है, यह कर्मवाद की आत्मा है और यही कर्मवाद का रहस्य है। भले कार्य का फल भला व बुरे कार्य का फल भी बुरा होता है। इसलिए व्यक्ति को कल्याणकारी कार्य करना चाहिए। हमारी आत्मा ही सुख–दुख की कर्ता होती है। सुप्रवृति में प्रवृत आत्मा मित्र व दुष्प्रवृति में संलग्न आत्मा क्षत्रु का कार्य करती है। मुख्य आठ कर्मों के आधार पर ही हमारे जीवन की प्रवृतियाँ टिकी हुई हैं। कोई छात्र व व्यक्ति कुशाग्र बुद्धि व तीव्र स्मरण शक्ति का धनी होता है, ऐसा होना ज्ञानावर्णीय कर्म के क्षयोपशम से होता है। शरीर की स्वस्थता व अस्वस्थता वेदनीय कर्म के प्रभाव से होती है।
आचार्य श्री ने आगे कहा कि गुस्सा आना व मारपीट करना व अहंकार भी मोहनीय कर्म के प्रभाव से होता है। छल–कपट, माया मोहनीय कर्म से होता है। जीवन में संतोष आजाएं तो व्यक्ति सुख को प्राप्त कर सकता है। संतोष को कामधेनु, कल्पवृक्ष व चिंतामणि रत्न से उपमित किया गया है। संतोष की बूँदें लोभ की भयंकर अग्नि को शांत कर देती है। इसलिए व्यक्ति कर्मवाद को समझ कर भले, कल्याणकारी कार्यों में प्रवृत्त हो यह अपेक्षा है।
तत्पश्चात आचार्यवर की प्रेरणा से सभा में उपस्थित ग्रामवासी एवं विद्यार्थियों ने सद्भावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति के संकल्पों को स्वीकार किया। इससे पूर्व साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभा जी ने सारगर्भित उद्बोधन प्रदान किया। इस अवसर पर सवाई पदमसिंह तेरापंथ उपसभा के संयोजक श्री विकास बालड़, उप संयोजक श्री बजरंग बालड़ ने स्वागत में विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन मुनि कीर्तिकुमार जी ने किया।