- समदड़ी से करीब 12 कि.मी. का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे जेठन्तरी
- ग्रामवासियों ने महातपस्वी संत आचार्यश्री महाश्रमणजी का किया भव्य स्वागत
- गुस्सा और अहंकार से बचने को आचार्यश्री ने किया अभिप्रेरित
30.12.2022, शुक्रवार, जेठन्तरी, बाड़मेर (राजस्थान)। सिवांची मालाणी क्षेत्र को पावन बनाने के लिए अपनी धवल सेना के साथ पहुंचे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शुक्रवार को समदड़ी से प्रातःकाल आगे की ओर विहार किया। समदड़ीवासियों ने अपने आराध्य के समक्ष अपनी कृतज्ञता अर्पित करते हुए पावन आशीर्वाद प्राप्त किया तो आगे के क्षेत्रों से गुरु सन्निधि में पहुंचे उत्साही श्रद्धालु अपने सुगुरु के चरणों का अनुगमन करने लगे। आज आसमान में हल्के बादल छाए हुए थे, इस कारण सूर्य को पूर्ण प्रकाशित होने में थोड़ा समय लगा, किन्तु अध्यात्म जगत के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी आध्यात्मिक रश्मियों के साथ जन-जन के मानसिक तम को हरने के लिए गतिमान हो चुके थे। मार्ग के आसपास के गांवों के ग्रामीणों तथा मार्ग से यात्रा करने वाले अनेकानेक श्रद्धालुओं को आचार्यश्री के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। लोगों को अपने आशीष से आच्छादित करते तथा यथावसर पावन पाथेय प्रदान करते आगे बढ़ते जा रहे थे। आचार्यश्री लगभग 12 किलोमीटर का विहार परिसम्पन्न कर जेठन्तरी गांव में पधारे तो ग्रामवासियों ने भावभीना स्वागत किया। आचार्यश्री जेठन्तरी गांव स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पधारे।
विद्यालय परिसर में आयोजित मंगल प्रवचन में आचार्यश्री ने उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के जीवन में कभी अनुकूलता की स्थिति आती है तो कभी प्रतिकूलता की स्थिति भी आ जाती है। जीवन में कभी सम्मान तो कभी अपमान भी मिल सकता है। प्रतिकूल परिस्थिति में आदमी गुस्सा भी कर लेता है। गुस्सा प्राणी की एक कमजोरी है और शत्रु भी है। गुस्सा दुर्गति का कारण बनता है। गुस्से से प्रीति, प्रेम का नाश हो जाता है। गुस्से से परिवार में अशांति, व्यापार में नुक्सान, सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी और तो और आदमी की स्वयं की आंतरिक शांति भी नष्ट हो जाती है। इसलिए आदमी को गुस्से से बचने का प्रयास करना चाहिए। गुस्सा करना बड़ी बात नहीं, किसी को क्षमा कर देना वीरता होती है। साधु को तो क्षमासूर होना ही चाहिए, आदमी को भी अपने गुस्सा को समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
आदमी को गुस्से के साथ-साथ अहंकार को नष्ट करने का प्रयास करना चाहिए। धन, पद, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य, विद्या, रूप, तप आदि के घमण्ड से बचने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री के आह्वान पर जेठन्तरी की उपस्थित जनता ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों को स्वीकार किया। श्री लूणचन्द सालेचा, श्री उमेश सिंह चंपावत, डीवाईएसपी श्री प्रेमसिंह राजपुरोहित, श्री प्रवीण सालेचा, विद्यालय के प्रिंसिपल श्री कृष्णाजी व वरिष्ठ अध्यापक श्री अम्बाराम चौधरी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। जेठन्तरी गांव की ग्रामीण महिलाओं ने स्वागत गीत का संगान किया।