- 14 कि.मी. का विहार के दौरान आचार्यश्री ने बाड़मेर जिले में किया मंगल प्रवेश
- पूरे गांव में छाया उत्सव का माहौल, ग्रामवासियों ने शांतिदूत का किया भव्य स्वागत
- भौतिक सुख तात्कालिक, आंतरिक सुख की प्राप्ति का करें प्रयास : आचार्यश्री महाश्रमण
28.12.2022, बुधवार, अजीत, बाड़मेर (राजस्थान)। चूरू जिले के छापर कस्बे में वर्ष 2022 का चतुर्मास सुसम्पन्न कर जनकल्याण के लिए गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता, अखण्ड परिव्राजक, समता के साधक युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना संग बुधवार को राजस्थान के बाड़मेर जिले की सीमा में मंगल प्रवेश किया। चूरू जिले गतिमान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने नागौर, पाली, जोधपुर के बाद बाड़मेर जिले की धरा को पावन करने के लिए पधारे तो बाड़मेर जिले के श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य का भावभरा अभिनंदन किया। तेरापंथ धर्मसंघ का 159वां मर्यादा महोत्सव भी बाड़मेर जिले के बायतू मंे ही समायोजित है।
बुधवार को प्रातः समता के साधक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने दुन्दाड़ा से मंगल प्रस्थान किया। ऊबड़-खाबड़ और ग्रामीण रास्ते से अजीत गांव की ओर गतिमान हुए। अजीत गांव में एक भी तेरापंथी परिवार नहीं होने के बावजूद भी यहां की जनता में आचार्यश्री के आगमन को लेकर विशेष भक्ति और उत्साह देखने को मिल रहा था। गांव में रहने वाले सभी, जाति, वर्ग, संप्रदाय के लोग सोत्साह आचार्यश्री की अगवानी को आतुर नजर आ रहे थे। इतना ही नहीं, इस अवसर के लिए आसपास के अन्य गांवों के विशिष्ट जन भी आचार्यश्री के दर्शन हेतु पहुंचे हुए थे। आचार्यश्री जैसे ही अजीत गांव के सीमा में पधारे तो श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ आया। सैंकड़ों-सैंकड़ों लोग आचार्यश्री के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त कर रहे थे। समस्ता जनता पर अपने दोनों करकमलों से आशीष वृष्टि करते हुए आचार्यश्री गतिमान थे। भव्य स्वागत जुलूस के रूप में विशाल जनमेदिनी भी मानवता के मसीहा के चरणों का अनुगमन करने लगी। ग्रामीण महिलाएं अपने घरों के सामने गलियों में, बरामदों, छतों और घरों की खिड़कियों से आचार्यश्री के दर्शन कर अपने सौभाग्य की सराहना कर रही थीं। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री अजीत गांव स्थित श्री जैन श्वेताम्बर धर्म स्थानक में पधारे।
इस स्थानक के बाहर स्थित चौक में आयोजित प्रवचन पंडाल में उपस्थित जनता को शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि प्रत्येक आदमी सुख पाना चाहता है। सुख के दो प्रकार बताए गए हैं-भौतिक संसाधनों से प्राप्त होने वाला सुख तात्कालिक होता है तथा आध्यात्मिक साधना, योग और तप से प्राप्त आंतरिक सुख वास्तविक सुख होता है। आदमी बाह्य जगत में अपनी कामनाओं के कारण जिन तात्कालिक सुखों की ओर आकर्षित होता है, वह दुःख का कारण बनती हैं। बाह्य भौतिक सुखों की कामना, लालसा जितनी कम होगी और जीवन में अनासक्ति, त्याग, तप और साधना की भावना पुष्ट होगी आंतरिक सुख की प्राप्ति संभव हो सकती है। साधु तो अपनी कामनाओं का त्याग कर धर्म के मार्ग पर चलने वाले होते हैं। गृहस्थ को भी अपनी कामनाओं को कम अथवा क्षीण करते हुए आंतरिक सुख की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री के आह्वान पर समुपस्थित विशाल जनता ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों को स्वीकार किया। समुपस्थित जनता को आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीप्रमुखाजी से उद्बोधन प्राप्त हुआ।
केलवा में चतुर्मास कर गुरुदर्शन करने वाली साध्वी पावनप्रभाजी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। आमेट में चतुर्मास सम्पन्न कर गुरु सन्निधि में पहुंचे वाली साध्वी प्रांजलप्रभाजी सहित गुरुदर्शन करने वाली साध्वियों ने गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने सभी को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। स्थानीय श्री जैन संघ के अध्यक्ष श्री विजयराज जीरावला, पूर्व अध्यक्ष श्री छगनराज भुरट, सरपंच प्रतिनिधि श्री सुरेन्द्रसिंह चारण, पोकरण के ठाकुर श्री नागेन्द्रसिंह ने भी आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया।
आचार्यश्री के दर्शन को पहुंचे कई गांवों के ठाकुर
आचार्यश्री अजीत गांव में पदार्पण का उत्साह आसपास के गांवों में लोगों में भी देखने को मिला। आसपास के कई गांवों के ठाकुर आदि मुख्य व्यक्तियों ने भी आचार्यश्री की सन्निधि में पहुंचकर प्रवचन श्रवण करने के साथ ही आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। इनमें पोकरण के ठाकुर के अलावा कोटड़ी के ठाकुर व पूर्व विधायक श्री कानसिंह, लालिया के ठाकुर श्री हनुमंतसिंह, महेशनगर के ठाकुर श्री भंवरसिंह आदि शामिल रहे।