- श्रद्धा, आस्था और उल्लास की लहरों में समाईं जोधपुर की सड़कें
- जनता, जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी की युगप्रधान आचार्यश्री की अगवानी
- 12 कि.मी. का विहार और भक्तों को आशीष बरसाने में गंतव्य तक पहुंचने में हो गई दोपहर
- तेरापंथ के नामकरण से जुड़ी भूमि है जोधपुर : महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण
21.12.2022, बुधवार, पावटा, जोधपुर (राजस्थान)। 12 मई 1459 को राव जोधा द्वारा स्थापित, राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े नगर, सूर्यनगरी, नीली नगरी आदि अनेक नामों से देश-विदेश में अपना विशेष स्थान रखने वाले तथा जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ‘तेरापंथ’ नामकरण से जुड़ी हुई नगरी जोधपुर में बुधवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान महासूर्य, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ नव्य-भव्य मंगल प्रवेश किया तो मानों पूरे नगरी में अलौकिक आध्यात्मिक वातावरण छाया गया। पूरा नगर और नगरवासी महाश्रम की भक्ति में सराबोर नजर आ रहे थे। ऐसे अध्यात्म जगत के महासूर्य के अभिनंदन में जोधपुर की जनता, जनप्रतिनिधि ही नहीं, प्रशासनिक अधिकारियों ने भी स्थान-स्थान पर अपनी प्रणति अर्पित कर मानवता के मसीहा से मंगल आशीष प्राप्त कर रहे थे। महातपस्वी का अभिनंदन व उनके एक झलक पाने को हजारों-हजारों नेत्र मार्ग पर टकटकी लगाए थीं।
बुधवार को प्रातः कुड़ी भक्तासिनी के हाउसिंग बोर्ड ने युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना संग सूर्यनगरी जोधपुर की ओर गतिमान हुए तो वहीं से सैंकड़ों श्रद्धालुओं का हुजूम अपने आराध्य के चरणों का अनुगमन करने लगे। आसमान में सूर्य गतिमान था तो आज इस सूर्यनगरी के मार्ग पर अध्यात्म जगत के महासूर्य गतिमान थे। आज इस सूर्यनगरी में एक साथ दो सूर्यों के निकलने से ऐसा लग रहा था एक सूर्य जो बाह्य जगत को प्रकाशित कर रहा था तो अध्यात्म जगत का महासूर्य जोधपुरवासियों के आंतरिक अंधकारों का हरण करने के लिए पधारे थे। लगभग दस वर्षों बाद अपनी धरती पर अपने आराध्य के अभिनंदन को तेरापंथी जितने उत्साहित थे उससे कहीं अधिक समाज के अन्य वर्ग के लोग भी उत्साहित नजर आ रहे थे। आचार्यश्री के अभिनंदन में जनता ही जनप्रतिनिधि भी सोत्साह शामिल थे। जोधपुर शहर की विधायक सहित अनेक राजनैतिक पार्टियों के नेता, प्रशासनिक अधिकारियों ने भी आचार्यश्री के दर्शन कर उनका अभिनंदन किया। नव्य, भव्य व विशाल स्वागत जुलूस के साथ आस्था की लहरें जोधपुर के मार्गों को अपने में समाहित कर रही थीं। जन-जन को अपने आशीष से आच्छादित करते हुए आचार्यश्री जब पावटा में स्थित चोरड़िया भवन में पधारे तब तक दोपहर से भी ज्यादा का समय हो गया था, लेकिन श्रद्धालुओं के उत्साह का कोई पारावार नहीं था।
अल्प समय के विश्राम के उपरान्त ही प्रवास स्थल से कुछ दूरी पर स्थित हनुमन्त गार्डेन में महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी पधारे तो पूरा गार्डेन जयनिनादों से गुंजायमान हो उठा। उपस्थित जनमेदिनी को साध्वीप्रमुखाजी ने उद्बोधित किया। तदुपरान्त युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने श्रद्धालुओं को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आदमी स्वयं के मंगल की कामना करता है और साथ ही दूसरों के प्रति भी मंगल की कामना करते हैं। कई बार मंगल के अनेक प्रकार के द्रव्यों आदि का भी प्रयोग किया जाता है, किन्तु शास्त्र में बताया गया कि सर्वोत्कृष्ट मंगल धर्म को बताया गया है। जो अहिंसा, संयम एवं तप रूपी धर्म की आराधना करता है, उसका सदैव मंगल होता है। आचार्यश्री ने जोधपुर आगमन के संदर्भ में कहा कि आज तेरापंथ के नामकरण से जुड़ी हुए इस जोधपुर में आना हुआ है। परम पूज्य गुरुदेव तुलसी ने यहां दो चतुर्मास किया था, उनमें से एक चतुर्मास में मैं भी उपस्थित था। जोधपुर अच्छा शहर है। यहां के लोगों में बौद्धिकता के साथ भाव शुद्धि भी रहे तो वर्तमान जीवन के साथ आगे का जीवन भी अच्छा हो सकता है। यहां के लोगों में अहिंसा, नैतिकता और नशामुक्ति, ईमानदारी और संयम का प्रभाव बना रहे।
समणी हंसप्रज्ञाजी ने अपनी जन्मभूमि में अपने आराध्य के अभिनंदन में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया। तेरापंथी सभा-जोधपुर के अध्यक्ष श्री पन्नालाल कागोत, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री मितेश जैन, तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती हेमलता गेलड़ा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल द्वारा पृथक्-पृथक् स्वागत गीत का संगान किया गया।
आचार्यश्री के स्वागत में उपस्थित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक श्री नन्दलाल बावा, आयकर विभाग के उपायुक्त श्री अर्पित बोहरा, जोधपुर शहर की विधायक श्रीमती मनीषा पंवार व राजस्थान भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री प्रसन्नचंद मेहता ने भी अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। दैनिक जलतेदीप के श्री पूनमचंद मेहता ने अपने पत्र में आचार्यश्री के आगमन से संबंधित विशेषांक को पूज्यचरणों में अर्पित किया। तेरापंथी सभा-दिल्ली के अध्यक्ष श्री सुखराज सेठिया आदि ने ‘दिल्ली में तेरापंथ धर्मसंघ का विकास’ पुस्तक पूज्यचरणों में लोकार्पित कर आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।