लोकतन्त्र की किसी देश की सामाजिक आर्थिक एवम राजनीतिक व्यवस्था में अहम् भूमिका होती है क्योकी इसके सिद्धांतो के आधार पर देश में शासन व्यवस्था का सञ्चालन होता है। लोतांत्रिक व्यवस्था का आधार देश की जनता होती है। जनता द्वारा ही अपने प्रतिनिधि का चुनाब प्रत्यक्ष रूप से होता है लोकतन्त्र को केवल राजनीतिक व्यवस्था कहना ही उचित नहीं है क्योकि इसके आधार पर जीवन की सामाजिक एवं आर्थिक क्रियाओं का प्रतिपादन भी होता है।
सामाजिक एवं आर्थिक क्रियाओ में स्वतंत्रता समता एवं बंधुत्व की भावना को महत्त्व दिया गया है जिनकी बुनियाद हमारे देश के संविधान में वर्णित मूल अधिकार मूलकर्त्तव्य एवम नीति निदेशक तत्वों को माना गया है किन्तु वर्तमन समय में देश की जनता को लोकतंत्र का परिणाम भ्रष्टाचार और अर्थिक असमानता के रूप में प्राप्त हो रहा है लोकतंत्र के आधार पर जनता द्वार चुने हुए प्रतिनिधि राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि में रुचि ले रहे हैं। राजनीतिक स्वार्थ का सम्बन्ध सत्ता की लालसा से है जिसके कारण जन कल्याण की भावना का लोप हो गया है लोकतंत्र में जनता को सर्वोपरी माना जाता है किन्तु समाज में बढ़ते हुए अपराध के कारण राजनीति का अपराधीकरण हो रहा है और जनता निर्बल हो गई है एवं सामाजिक मूल्यों को महत्व नहीं दिया जा रहा है जिसके कारण देश समाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ रहा है अर्थिक असमानता के करण गरीबी की समस्या पनप रही है। गरीब और गरीब, अमीर और अमीर हो रहे हैं इस समय देश में लोकतंत्र की बुनियाद को बल प्रधान करने की आवश्यकता है जिसके लिए नागरिक की स्वतंत्रता और समानता हेतु संविधान के आधार पर बने कानूनों का उचित क्रियान्वयन किए जाने कि जरूरत है जो कि जनता की भागीदारी के माध्यम से ही संभव है।
यदि देश के सभी नागरिक संवैधानिक मूल्यों को महत्व देने लगे तो राजनीतिक व्यवस्था का शुद्धिकरण होगा क्योकी राजनीतिक प्रतिनिधियो का चुनाव भी देश के नागरीको में से ही होता है यदि सभी नागरिक देश की राष्ट्रीय खुशहाली के लिए परस्पर मेल जोल की भावना से कार्य करे एवं संविधान में वर्णित अपने मूल अधिकार के साथ मूल कर्तव्यो का पालन करे तो इससे जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि निस्वार्थ की भावना से कार्य करेंगे और देश की कानून व्यवस्था का सफल संचलन होगा, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी योग्यता के अनुसार अवसर प्राप्त होंगे, जिससे कुशल सामाजिक व्यवस्था का गठन होगा और आर्थिक असमानता की समाप्ति होगी तथा देश राष्ट्रीय खुशहाली के मापदंड पर खरा उतरेगा और लोकतंत्र के मूलसिद्धांत जनता द्वार जनता के लिए का पालन होगा।
लोकतंत्र की बुनियाद
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