– महातपस्वी महाश्रमण के आगमन से डेगाना में छाया अलौकिक वातावरण
– भव्य स्वागत जुलूस में दिखा आस्था, श्रद्धा और उत्साह का संगम
– नगरपालिका अध्यक्ष व पूर्व विधायक ने भी शांतिदूत का किया स्वागत
– जैसी करनी, वैसी भरनी : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
21.11.2022, सोमवार, डेगाना, नागौर (राजस्थान)। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टमाचार्य की जन्मधरा छापर में वर्ष 2022 का चतुर्मास सुसम्पन्न कर नवमाधिशास्ता आचार्यश्री तुलसी की जन्मधरा लाडनूं को स्पर्श करते हुए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी तेरापंथ धर्मसंघ के आद्य आचार्य भिक्षु की जन्मधरा कंटालिया और निर्वाणभूमि सिरियारी की ओर गतिमान आचार्यश्री अपनी धवल सेना के संग सोमवार को डेगाना में पधारे में पधारे। डेगाना नगर के सड़कों और गलियों में श्रद्धा, आस्था और उत्साह का पारावर दिखाई दिया। डेगाना का केवल तेरापंथी परिवार ही नहीं, अपितु अन्य जैन एवं जैनेतर समाज भी ऐसे मानवता के मसीहा के अभिनन्दन में सोत्साह संभागी बना हुआ था।
सोमवार को प्रातः चांदारुण से आचार्यश्री महाश्रमणी ने डेगाना की गतिमान हुए। डेगाना के उत्साही श्रद्धालु प्रस्थान से पूर्व ही अपने आराध्य की सन्निधि में पहुंच चुके थे। वे भी अपने आराध्य के चरणों का अनुगमन करते हुए साथ चल पड़े। जैसे-जैसे आचार्यश्री डेगाना के निकट पधार रहे थे, श्रद्धालुओं का उत्साह का और उनकी संख्या भी बढ़ती जा रही थी। नगर के बाहर स्वागत में उत्सुक श्रद्धालुओं का उत्साह उस समय चरम पर जा पहुंचा जब उन्हें युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के प्रथम दर्शन प्राप्त हुए। वातावरण को गुंजायमान करते जयघोष उनके उत्साह को दर्शा रहे थे। सभी लोगों को आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री डेगाना नगर स्थित जैन भवन में पधारे।
भवन के समक्ष ही बने प्रवचन पंडाल मंे आज विराट संख्या में जनता की उपस्थिति थी। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने पहले जनता को उद्बोधित किया। तदुपरान्त शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित जनता को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि शास्त्रकारों ने एक सिद्धांत दिया कि अपने किए हुए कर्मों का भोगे बिना अथवा नष्ट किए बिना मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती। जो प्राणी जैसा कर्म करता है, उसे वैसा फल भोगना होता है। इसलिए एक प्रसिद्ध कहावत भी है- जैसी करनी वैसी भरनी। जो जैसा करता है, उसका फल भी उसे वैसा ही प्राप्त होता है। जो बोया जाता है, वही काटा भी जाता है। यह कर्मवाद का सिद्धांत है। प्राणी जो भी कर्म करता है, उसका फल उसे ही भोगना होता है। इसलिए आदमी को यह प्रयास करना चाहिए कि उसके कर्म अच्छे हों। किसी का भला न हो सके तो किसी के साथ बुरा करने का भी प्रयास नहीं करना चाहिए। इसलिए अपने कर्मों को अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने डेगाना आगमन के संदर्भ में डेगानावासियों को मंगल आशीष के साथ सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की भी प्रेरणा प्रदान की।
बहिर्विहार में चतुर्मास करने वाली साध्वी सम्पूर्णयशाजी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति देने के उपरान्त अपने सहवर्ती साध्वियों संग गीत का संगान किया। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी निर्मला दीदी ने, जैन भवन के ट्रस्टी श्री गौतम कोठारी, तेरापंथी सभा की ओर से श्री प्रवीण चोरड़िया तथा तेरापंथ महिला मण्डल की ओर से श्रीमती सुमित्रा सुराणा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ युवक परिषद की ओर से श्री सुनील सांखला ने गीत का संगान किया। ज्ञानशाला डेगाना के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति दी।
आचार्यश्री के स्वागत में पहुंचे स्थानीय विधायक व पूर्व मंत्री श्री अजयसिंह किलक तथा नगरपालिका चेयरमेन श्री मदलाल अठवाल ने भी आचार्यश्री का स्वागत करते हुए अपनी आस्था पूज्यचरणों में समर्पित की।