- पहले दो दिवसीय प्रवास और फिर मर्यादा महोत्सव का उपहार प्राप्त कर आह्लादित हो उठे खाटूवासी
- मुमुक्षु खुशबू को सिरियारी दीक्षा समारोह में दीक्षा देने की भी आचार्यश्री ने की घोषणा
- बहुश्रुत की पर्युपासना से उठाएं लाभ : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
18.11.2022, शुक्रवार, छोटी खाटू, नागौर (राजस्थान) । कहते हैं जब भगवान किसी को देते हैं तो छप्पर फाड़कर देते हैं। कुछ ऐसी ही छप्पर फाड़ कृपा बरसी छोटी खाटूवासियों पर तो गांववासी श्रद्धालु अपने आराध्य के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए नहीं थक रहे थे। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के देदीप्यमान महासूर्य, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पहले छोटीखाटूवासियों पर कृपा करते हुए एक दिन के प्रवास के स्थान पर दो दिन का प्रवास प्रदान कर निहाल किया था ही था कि शुक्रवार को उनके आराध्य ने उन पर ऐसी कृपा की बरसात की समस्त श्रद्धालुओं उस कृपा में अभिस्नात होकर अनंत आनंद की अनुभूति करने लगे। आचार्यश्री ने शुक्रवार को मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में वर्ष 2026 का मर्यादा महोत्सव छोटू खाटू में करने की घोषणा की तो पूरा प्रवचन पण्डाल जयघोष से गुंजायमान हो उठा। जिस चतुर्मास और मर्यादा महोत्सव की प्राप्ति के लिए देश के अनेकानेक क्षेत्र निरंतर संघबद्ध रूप में पहुंचते रहते हैं, अपनी भावनाएं प्रकट करते रहते हैं, ऐसे में छोटी खाटूवासियों को सहज में इतने बड़ा आयोजन प्राप्त हो जाना मानों उनके लिए अप्रत्याशित कृपा की प्राप्ति हुई थी। साथ ही छोटी खाटू से संबद्ध मुमुक्षु खुशबू कोचर को सिरियारी में आयोज्य दीक्षा समारोह में साध्वी दीक्षा प्रदान करने की भी घोषणा कर छोटी खाटू वासियों को निहाल कर दिया।
छोटी खाटू प्रवास के दूसरे दिन मुख्य प्रवचन कार्यक्रम का शुभारम्भ आचार्यश्री के मंगल मंत्रोच्चार के साथ हुआ। मुमुक्षु बहनों द्वारा गीत का संगान किया गया। मुमुक्षु खुशबू कोचर ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। साध्वीवर्या साध्वी संबुद्धयशाजी ने उपस्थित जनता को उद्बोधित किया। तदुपरान्त आचार्यश्री ने श्रद्धालुओं को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि श्रमण धर्म बहुत महत्त्वपूर्ण है। इस धर्म का पालन करने वाला धृति सम्पन्न होता है और वह कर्मों का क्षय कर संसार के बंधन से मुक्त होने का प्रयास करता है। श्रमण धर्म का पालक तो वंदनीय, श्रवणीय होता है। श्रमण धर्म का पालन करने वाले की भक्ति से कल्याण हो सकता है। परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी ने सबसे लम्बेकाल के आचार्यकाल में कितनों का कल्याण किया। परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने भी प्रेक्षाध्यान, साधना आदि के द्वारा कितनों-कितनों का कल्याण किया। साधु के तो दर्शन से भी लाभ प्राप्त हो जाता है। प्रवचन श्रवण के दौरान श्रद्धालुओं के सावद्य योगों से बचाव हो जाता है, इस दौरान सामायिक हो जाती है और अच्छी बात हो जाती है तथा प्रवचन श्रवण से ज्ञान का बढ़ता है। वह ज्ञान यदि जीवन में उतर जाए तो जीवन दशा व दिशा ही बदल सकती है। इसप्रकार बहुश्रुत की पर्युपासना का लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए।
छोटी खाटू में चतुर्मास करने वाली साध्वी ललितप्रभाजी तथा डेगाना में चतुर्मास करने वाली साध्वी सम्पूर्णयशाजी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए तो आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। मुमुक्षु विद्या, अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती नीलम सेठिया, महासभा के पूर्व महामंत्री श्री प्रफुल्ल बेताला, प्रवास व्यवस्था समिति-छोटी खाटू के अध्यक्ष श्री बाबूलाल धारीवाल, स्थानीय सभा के अध्यक्ष श्री ताराचंद धारीवाल, जैन विश्व भारती के कोषाध्यक्ष श्री विमलचंद भण्डारी, श्री प्रेमसिंह चौधरी, छोटी खाटू सरपंच श्री रणवीर सिंह राठौड़ ने अपनी अभिव्यक्ति दी। स्थानीय सरपंच द्वारा आचार्यश्री महाश्रमणजी को अभिनंदन पत्र उपहृत किया गया। तेरापंथ युवक परिषद- छोटी खाटू ने गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपने आराध्य के समक्ष अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी।
इन कार्यक्रमों के उपरान्त आचार्यश्री ने पहले कृपा करते हुए मुमुक्षु खुशबू को सिरियारी में आयोज्य दीक्षा समारोह में साध्वी दीक्षा प्रदान करने और साधु प्रतिक्रमण सीखने आरम्भ करने की आज्ञा प्रदान की। इस घोषणा से हर्षित छोटीखाटूवासियों का हर्ष अभी समाप्त ही नहीं हुआ था कि आचार्यश्री ने सहसा छोटी खाटू में वर्ष 2026 का मर्यादा महोत्सव करने की घोषणा कर छोटी खाटूवासियों को अतिशय हर्षविभोर बना दिया। बहुत देर तक प्रवचन पण्डाल जयकारों से गूंज रहा था। जयघोष श्रद्धालुओं के हर्ष की अभिव्यक्ति का माध्यम बन रहे थे। इस संदर्भ में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुखलाल सेठिया, अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती नीलम सेठिया, भाजपा नेता श्री जितेन्द्र सिंह जोधा, श्री भूराराम चौधरी ने अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी। मर्यादा महोत्सव की घोषणा के संदर्भ में साध्वीप्रमुखाजी, मुख्यमुनिश्री और साध्वीवर्याजी ने भी अपनी अभिव्यक्ति दी। साध्वियों द्वारा गीत का संगान किया गया।