शेगांव (महाराष्ट्र)। भारत जोड़ो यात्रा पर निकले कांग्रेस नेता राहुल गांधी महाराष्ट्र के शेगांव में आयोजित विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा तकरीबन 70 दिन पहले ये यात्रा कन्याकुमारी से शुरु हुई, समुद्र के किनारे यात्रा की शुरुआत हुई। हर रोज 25 किलोमीटर ये यात्रा चलती है। तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रा और अब महाराष्ट्र। हमारे विपक्ष के लोगों ने सवाल पूछा था यात्रा की क्या जरुरत? क्या फायदा है इस यात्रा का? देश के कोने-कोने में आज बीजेपी ने नफ़रत और हिंसा फैला दी है, डर फैला दिया है। जहाँ भी आप देखें, आपको डर, नफ़रत और हिंसा दिखेगी। इस डर के खिलाफ आवाज उठाना इस यात्रा का लक्ष्य है। इस यात्रा का लक्ष्य लोगों को अपनी बात समझाने का नहीं है, अपने मन की बात रखने का नहीं है, यात्रा का लक्ष्य आपकी आवाज सुनने का है। आपके डर को समझने का है।
उन्होंने कहा कि मैं सोचता हूं कि डर से, नफ़रत से, हिंसा से बंटवारा होता है। प्यार से, जनता की आवाज को सुनने से जनता के मन का डर कम होता है। नफ़रत से इस देश को कभी फायदा नहीं होगा। मैंने डर की बात बोली, डर कहाँ, डर किस बात का? हमारे विपक्ष के लोग पूछेंगे, डर किसका, कौन डरा हुआ है? अगर वो इन सड़कों पर चलते, 5 मिनट में उनको बात समझ आ जाती।
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि इस प्रदेश में पिछले 6 महीनों में कितने किसानों ने आत्महत्या की है, क्यों की है, किस कारण की? किसी भी किसान से बात करो, आपको कहेगा, हमें सही रेट नहीं मिलता। तंग आ गया हूं मैं इन शब्दों को सुनकर। पहली बात बोलते हैं, मैं पूछता हूं कैसे- वो कहते है कि सही रेट नहीं मिलता है। दूसरा सवाल पूछता हूं, कहते हैं- हमने बीमा का पैसा भरा। आंधी आई, एक रुपया नहीं मिला और फिर सवाल पूछते हैं, राहुल जी एक बात बताइए, हमें समझ नहीं आती बात, किसान आत्महत्या करता है, क्यों करता है? 50 हजार का कर्ज होता है, लाख रुपए का कर्ज होता है और लाइन लग जाती है। हजारों किसान आत्महत्या करते हैं। 50 हजार रुपए का कर्ज होता है, एक लाख रुपए का कर्ज होता है। कितने किसानों ने मुझसे पूछा- राहुल जी, हमें एक बात समझा दीजिए, हमने क्या गलती की? एक लाख रुपए का हमारा कर्ज माफ नहीं होता, मगर हिंदुस्तान के अरबपतियों का लाखों करोड़ रुपए कर्ज माफ हो जाता है, क्यों? वो पूछते हैं, क्यों? ये डर नहीं है तो क्या है और ये ऐसे ही नहीं फैला है। पहले भी विदर्भ में किसानों को मुश्किल हुई थी। उस समय दिल्ली में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी। हमने विदर्भ के किसानों की बात सुनी और तुरंत विदर्भ को पैकेज दिया।
श्री गांधी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि डर सुनने से मिटता है। डर गले मिलने से मिटता है। मैं आपको बता रहा हूं, आज बता रहा हूं स्टेज से। अगर महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर और हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री दिल खोलकर प्यार से महाराष्ट्र के किसानों की आवाज सुन लें तो यहाँ पर कोई आत्महत्या नहीं करेगा। क्योंकि अगर उन्होंने दिल खोलकर आवाज सुनी, तो जो किसान सह रहा है, जो उसके दिल में दर्द है, उसे वो समझ जाएंगे और अगर उसे समझ जाएंगे, तो कुछ ना कुछ मदद वो किसान की कर देंगे। इन सड़कों पर सिर्फ किसान नहीं मिलते, युवा भी मिलते हैं, हजारों युवाओं से मैंने बात की। कोई इंजीनियर बनना चाहता है, कोई वकील बनना चाहता है, कोई आर्मी में जाना चाहता है, कोई पब्लिक सेक्टर में काम करना चाहता है। हर युवा के माता ने, पिता ने खून-पसीने के पैसे डाले हैं। यूनिवर्सिटी भेजते हैं बच्चों को, कॉलेज भेजते हैं। फ्री में नहीं आता है ये महाराष्ट्र में, मुफ्त में नहीं मिलती शिक्षा। लाखों रुपए देते हैं और फिर इन सड़कों पर क्या सुनने को मिलता है, क्या पढ़े – इंजीनियरिंग। कौन सी– मैकेनिकल। क्या कर रहे हो – कौन सी कंपनी में काम कर रहे हो? पर पढ़ाई के बाद उन्हें नौकरी नहीं मिलती। तो किसानों के दिल में डर, युवाओं के दिल में डर, उनके माता-पिता के दिल में डर और फिर उस डर को बीजेपी नफ़रत में बदलती है। बांटने का काम करती है। भाई को भाई से लड़ाती है। आप सबके परिवार हैं, आप सबके भाई हैं, माता-पिता हैं। परिवार में नफ़रत होती है, तो परिवार का फायदा होता है या नुकसान? कोई है यहाँ जिसके परिवार में नफ़रत से फायदा हुआ हो? कोई भाई है यहाँ पर जिसको अपने भाई से लड़ने में फायदा हुआ? कोई है यहाँ पर बेटा जिसको अपने पिता से लड़ने से फायदा हुआ, नहीं हो सकता। अगर परिवार को फायदा नहीं होता, तो देश को कैसे फायदा होगा? देश भी तो एक परिवार है, लाखों-करोड़ों परिवारों से एक देश बनता है।
राहुल गांधी ने कहा कि हिंसा से नफ़रत से देश को फायदा नहीं हो सकता और आज ये आपकी धरती है। महापुरुषों की धरती है, छत्रपति शिवा जी महाराज जी, ज्योतिबा फुले जी, शाहू जी महाराज जी, डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर जी, सावित्रीबाई फुले जी, होल्कर जी, संत गाडगे महाराज जी, दिनेश्वर महाराज जी, शिरडी साईं बाबा जी, लिस्ट है। इनमें से किसी ने ये कहा था कि नफ़रत और हिंसा फैलाओ? किसी ने कहा- किसी ने नहीं कहा। सबने प्यार की बात की, सबने लोगों को जोड़ने की बात की और वही ये यात्रा कर रही है। हम जोड़ने का काम कर रहे हैं। वो तोड़ने का काम करते हैं, वो नफ़रत फैलाते हैं, हम जोड़ने का काम करते हैं।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में आगे कहा कि आज यात्रा के दौरान मैं बैठा था। यात्रा के बीच में हम चाय पीते हैं। मैं चाय पी रहा था और उधर से एक व्यक्ति आए, आर्मी में हुआ करते थे। मैंने उनको देखा। पहले बात समझ नहीं आई, मैंने कहा ये क्या है और फिर जब वो पास आए, मैंने देखा उनकी टांगे नहीं थीं। एक हाथ नहीं था। मुझे उन्होंने बताया कि जब उनको चोट लगी, उनकी टांगे काट दी गईं। तो तीन महीने के लिए अस्पताल में रहे। उन्होंने अपनी बीवी को बताया नहीं कि उनके पैर कट गए हैं। महीनों वो अस्पताल में रहे। दोनों पैर कट गए, एक हाथ टूट गया। इंटेस्टाइन्स बाहर आ गईं थीं, छाती खुल गई थी और मेरे साथ बैठे मुस्कुरा रहे थे। तो मैंने उनसे पूछा कि बताइए आपको इतनी बड़ी चोट लगी, आपके खिलाफ इतनी हिंसा हुई, आपको नफ़रत नहीं आती, क्या? आपके दिल में नफ़रत है, क्या? मुस्कुराकर कहते हैं- मुझे किसी से नफ़रत नहीं और अगला शब्द कहते हैं, मैंने पूछा क्यों? कहते हैं- मेरे दिल में डर नहीं है। मैं नहीं डरता। जिस दिन मेरे पैर कट गए, उस दिन मैंने सोचा नई जिंदगी है, इसको मैं जीऊँगा, हिम्मत से जीऊँगा।
उन्होंने कहा – आज हम यहाँ आए, शिवा जी महाराज जी, जिन्होंने पूरी दुनिया को रास्ता दिखाया, उनकी जमीन है। माँ के बिना, जो माँ होती है, वो बेटे को रास्ता दिखाती है। शिवा जी महाराज जी को शिवा जी महाराज किसने बनाया? वो कैसे बने शिवा जी महाराज और वो शिवा जी महाराज थे, क्या? वो एक व्यक्ति थे जरुर, मगर वो सिर्फ एक व्यक्ति नहीं थे, उनमें और हम सबमें क्या फर्क था? फर्क ये था कि वो महाराष्ट्र की आवाज थे। पूरी की पूरी जो आपके दिल में भावना थी, वो शिवा जी महाराज के अंदर थी और उनको रास्ता दिखाने का काम किसने किया? उनकी माता जी ने किया। राष्ट्रमाता जीजा जी ने किया। तो आज हम उनको भी याद करते हैं। जो शिवा जी महाराज जी ने कहा और आपके सभी महापुरुषों ने कहा, वही काम ये यात्रा करने की कोशिश कर रही है और आप ये बात बहुत अच्छी तरह समझते हो, क्योंकि आपने इस यात्रा को अपनी पूरी की पूरी शक्ति दे दी, पूरा प्यार आपने दिया। 3,500 किलोमीटर चलना आसान काम नहीं है पर आपने आसान बना दिया। अब आप देखिए, नेताओं के चेहरे देखिए, थकान नहीं है किसी में, मेरा चेहरा देखिए, कोई थकान नहीं है। ये आपका काम है। आपने हमें प्यार दिया, आपने हमारी मदद की और आपने हमें बहुत कुछ सिखाया है।
भारत जोड़ो यात्राः राहुल गांधी ने कहा, यात्रा का लक्ष्य आपकी आवाज सुनना और डर को समझना है
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