मुंबई। तेरापंथ भवन कांदिवली के ऑडिटोरियम में शीलवती सोना के नाटक का भव्य मंचन किया गया। भारतीय इतिहास के गौरवमय पृष्ठों की सजीव प्रस्तुति तेरापंथ महिला मंडल एवं कन्या मंडल कांदिवली ने बखूबी की। आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी श्री निर्वाणश्री जी की पावन प्रेरणा एवं प्रबुद्ध साध्वी डॉ योगक्षेम प्रभा जी के कुशल मार्गदर्शन में शील एवं सदाचार की इस प्रेरक गाथा ने सबका मन मोहा।
साध्वी निर्वाण श्री जी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा-“शील नारी जीवन का श्रृंगार है,उसकी सुरक्षा के लिए उसने हर चुनौती को झेला है। शील एक त्रैकालिक सत्य है। उसकी महिमा अतीत में थी,वर्तमान में है और भविष्य में रहेगी।
साध्वी डॉ योगक्षेम प्रभा जी ने अपने वक्तव्य में कहा- “जैन धर्म में 16 महासतियों का जीवन चरित्र सबके लिए प्रेरणास्पद रहा है। उनसे कुछ हटकर रानी सोना का यह चरित्र शील की मिसाल के साथ हिम्मत एवं समय की सूझ को दर्शाता है।
कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से हुई जिसे तेरापंथ महिला मंडल कांदिवली की बहनों ने प्रस्तुति दी। एसटीएमएफ के अध्यक्ष विनोद जी बोहरा, तेरापंथी सभा कांदिवली के अध्यक्ष पारस जी दुग्गड़ ,तेरापंथ महिला मंडल कांदिवली की संयोजिका नीतू नाहटा सामयिक प्रस्तुति दी। आभार ज्ञापन तेयुप कांदिवली के अध्यक्ष नवनीत कच्छारा ने किया। मंच संचालन व पार्श्वगायन भारती सेठिया तथा नाटक का संयोजन नूतन लोढ़ा ने किया। बादशाह अकबर का किरदार अलका पटावरी, चापराज हाडा -सुश्री इशिका पिंचा, महाराज पर्वत सिंह- श्रीमती नीतू नाहटा,महारानी सोना- प्राची हिरण राजपुरोहित -नीलम भंडारी, पंडित- सोनिया बाफना, शेरखां- नीतू दूगड़, मदन रेखा गणिका -विभा श्रीश्रीमाल, मदन रेखा बुआ जी -प्रीति बोथरा, प्रतिहारिन- निशा दुग्गड़ तथा द्वारपाल पूर्वी पटावरी ने अपने -अपने पात्रों की जीवंत प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।रात्रि 7:30 से 9:20 तक चले इस ऐतिहासिक नाटक में वाहवाही लूटी। सभी प्रतिभागियों को stmf द्वारा पुरस्कृत किया गया।
प्रेषक: नीतू नाहटा