- आचार्यश्री ने भगवती सूत्र के माध्यम से आयुष्य बंध की प्रक्रिया का किया वर्णन
- जीवन को अच्छा बनाने के लिए आचार्यश्री ने प्रदान किए सूत्र
03.10.2022, सोमवार, छापर, चूरू (राजस्थान)। छापर में वर्ष 2022 का चतुर्मास अब धीरे-धीरे पूर्णता की ओर है। चतुर्मासकाल का लगभग तीन भाग पूर्ण हो चुका है। 74 वर्षों बाद छापर में हो रहे इस चतुर्मास ने लोगों के जीवन में नवीन आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करने वाला रहा है। यहां की जनता की नहीं, आसपास के श्रद्धालु क्षेत्रों के अलावा देश-विदेश में बैठे लोगों को भी इस चतुर्मास का पूर्ण लाभ प्राप्त हुआ है। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगलवाणी से मानों छापर का पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से देदीप्यमान बन चुका है। सोमवार को आचार्यश्री महाश्रमणजी ने नित्य की भांति नवाह्निनक अनुष्ठान के संदर्भ में प्रवचन पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को मंत्र जप का प्रयोग कराया। साध्वीवर्या साध्वी संबुद्धयशाजी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को उद्बोधित किया।
तदुपरान्त आचार्यश्री ने समुपस्थित जनता को भगवती सूत्र आगम के माध्यम से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि एक प्रश्न किया गया कि जीव अल्प आयुष्य वाले कर्म का बंध कैसे कर लेता है? उत्तर दिया गया कि प्राणों का अतिपात कर, झूठ बोलकर और साधुओं की निंदा, गरहा, अवहेलना कर दान देने से जीव अल्प आयुष्यकर्म का बंध कर लेता है। प्रति प्रश्न किया गया कि जीव दीर्घ आयुष्य का बंध कैसे करता है? उत्तर दिया गया कि प्राणियों की हिंसा नहीं करने से, झूठ नहीं बोलने से और साधुओं को सम्मान और शुद्ध दान देकर जीव दीर्घ आयुष्य का बंध कर लेता है।
आदमी का आयुष्य कम हो अथवा दीर्घ, वह कोई बड़ी बात नहीं होती, आदमी अपना जीवन कैसे जीता है, यह महत्त्वपूर्ण बात होती है। कई लोग अल्पायु में ही कितने-कितने महत्त्वपूर्ण कार्य कर जाते हैं और यश-कीर्ति की प्राप्ति कर लेते हैं। कई लोग सौ पूरा कर लेते हैं, लोग उन्हें जानते ही नहीं हैं। इसलिए जीवन लम्बा हो या छोटा जीवन जीने का ढंग कैसा है, यह महत्त्वपूर्ण बात है। आदमी को अहिंसापूर्ण जीवनशैली अपनाने का प्रयास करना चाहिए। किसी भी प्राणी को अनावश्यक कष्ट न देना, किसी प्राणी की हत्या न करने का प्रयास होना चाहिए। जीवन में ईमानदारी रहे। किसी को ठगना, झूठ बोलना, किसी से छल करना, किसी के हक के धन को हड़प लेने की भावना नहीं होनी चाहिए। कोई साधु है, उसे शुद्ध आहार, पानी, वस्त्रों आदि अपेक्षित चीजों का दान करने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में अहिंसा हो, सच्चाई हो, ईमानदारी हो तो जीवन अच्छा हो सकता है। इस प्रकार जीवन जीने से अल्प आयुष्य के बंध से भी आदमी बच सकता है और वर्तमान जीवन भी अच्छा हो सकता है।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त तेरापंथ महिला मण्डल-छापर की मंत्री श्रीमती अल्का बैद ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तदुपरान्त छापर तेरापंथ महिला मण्डल की सदस्याओं ने गीत का संगान किया।