वसई। साध्वी प्रज्ञाश्रीजी ठाना 4 के सानिध्य में पहली बार समधन की जोड़ी कण्ठीतप की भेंट लेकर आये। श्रीमती कंकु बाई बोहरा एवम श्रीमती सन्तोषदेवी धोका के कण्ठीतप का तप अभिनंदन तेरापंथ भवन वसई में समपन्न हुआ।
साध्वी प्रज्ञाश्रीजी ने अपने मंगल उद्धबोधन में फ़रमाया की तपस्या होड़ से नही होती कंकु बाई तपस्विनी है प्रतिवर्ष कुछ ना कुछ तपस्या करती है और इस उम्र में कण्ठी तप की तपस्या करने साहस का कार्य है। श्रीमती सन्तोष देवी के पांचवा वर्षीतप गतिमान है उसमें भी आपने कण्ठीतप किया ये विरले ही कर पाते है। आप दोनों ने तप के माध्यम से कर्म निर्जरा की ओर दोनों के दिए हुए संस्कार है कि दोनों के घर मे मासखमन से लेकर अठाई तक कि तपस्या इस वर्ष सम्पन्न हुई। साध्वी सरलप्रभाजी ने उदाहरण के माध्यम से तप की महिमा को बताया। साध्वी विनयप्रभा जी साध्वी प्रतिकप्रभाजी ने गीतिका के माध्यम से तप की अनुमोदना की।
मंगलाचरण वसई महिला मंडल की बहनो ने किया, पारिवारिक जन से बोहरा परिवार की बहनो ने धोका परिवार की बहनो ने, धोका परिवार के जमाई बेटे, परमार परिवार की बहनो ने ओर सुशीला जी बोहरा ने गीतिका के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति दी। अभातेयुप से वसई तेयुप प्रभारी जितेंद्र जी परमार ने भावो की अभिव्यक्ति दी। साध्वीप्रमुखा श्री जी के सन्देश का वाचन अशोक जी बोहरा ओर भरत जी बोहरा ने किया।संचालन आशा जी गुंदेचा ने किया।
वसई समधन की जोड़ी के कण्ठीतप की अनुमोदना
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