- – आचार्यश्री ने वर्ष 2024 का मर्यादा महोत्सव बृहत्तर मुम्बई में करने की घोषणा की
- – गुरु की बरसी कृपा से सराबोर हुए मायानगरी के वासी, बुलंद जयघोष से व्यक्त की कृतज्ञता
- – साध्वीप्रमुखाजी, मुख्यमुनिश्री और साध्वीवर्याजी ने भी लोगों को किया उद्बोधित
- – वर्तमान जीवन में ही अगले जीवन के आयुष्य का बंध करता है प्राणी : आचार्यश्री महाश्रमण
19.09.2022, सोमवार, छापर, चूरू (राजस्थान)। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टमाचार्य कालूगणी की जन्मभूमि छापर। तेरापंथ के वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का चतुर्मास प्रवास स्थल और आचार्य कालू महाश्रमण समवसरण का भव्य पंडाल जो सोमवार को मानों भारत की आर्थिक राजधानी, मायानगरी मुम्बई के रूप में परिणत हो गया और इस मायानगरी पर सोमवार को तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान देदीप्यमान महासूर्य, युगप्रधान, महातपस्वी महाश्रमणजी ने ऐसी कृपा बरसाई की पूरी मायानगरी नगरी निहाल हो उठी। पूरा वातावरण जय निनादों से गुंजायमान हो उठा।
सोमवार को चतुर्मास प्रवास स्थल परिसर में बने भव्य प्रवचन पण्डाल में उपस्थित श्रद्धालुआंे को आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अमृतवाणी से अभिसिंचन प्रदान करते हुए कहा कि भगवती सूत्र में एक प्रश्न किया गया कि कोई भी प्राणी अथवा देवता वर्तमान जन्म का आयुष्य पूर्ण कर दूसरे जन्म में गति करता है तो वह आयुष्य सहित जाता है अथवा आयुष्य रहित जाता है? भगवान महावीर द्वारा उत्तर दिया गया कि वह आयुष्य सहित ही गति करता है। प्रतिप्रश्न किया गया कि अगले जीवन का आयुष्य जीव कब बांधता है? उत्तर दिया गया कि देव और देवता और कुछ तिर्यंच वर्तमान जीवन में छह मास शेष रह जाने पर अगले जीवन के आयुष्य का बंध करता है तो वहीं मनुष्य अपने जीवन के दो भागों की सम्पन्नता के उपरान्त अगले जन्म का आयुष्य बांधता है। अगले जीवन का आयुष्य बांधे बिना जीव की गति नहीं होती। इसलिए आदमी को अपने अगले जीवन को अच्छा बनाने के लिए वर्तमान जीवन में अच्छे कर्म करने का प्रयास करना चाहिए। छल, कपट, झूठ, बेइमानी, चोरी, हिंसा, हत्या आदि से दूर रहते हुए अपने जीवन में साधना, ध्यान, तप, ईमानदारी, सच्चाई और प्रमाणिकता को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। मानों वर्तमान जीवन में ही अगले जन्म की अच्छी तैयारी करने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने कालूयशोविलास के आख्यान के क्रम को आगे बढ़ाया। आचार्यश्री के आख्यान के उपरान्त सैंकड़ों की संख्या में मुम्बई से पहुंचे श्रद्धालुओं का समूह भी कार्यक्रम में उपस्थित था। मुम्बई चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री मदनचंद तातेड़ व वरिष्ठ श्रावक श्री सुमतिचंद गोठी ने अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए वर्ष 2024 के मर्यादा महोत्सव भी मुम्बई में करने की पुरजोर प्रार्थना की। तेरापंथ महिला मण्डल-मुम्बई ने गीत का संगान किया।
मुम्बईवासियों की पुरजोर प्रार्थना को देखते हुए आचार्यश्री ने मुम्बई में स्थित बहुश्रुत परिषद के संयोजक मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी स्वामी के संदर्भ में फरमाते हुए, भगवान महावीर, परम पूज्य आचार्य भिक्षु, सहित आचार्यश्री तुलसी और आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का स्मरण व वंदन करते हुए कहा कि द्रव्य, क्षेत्र, काल व भाव की अनुकूलता के अनुसार सन् 2024 का मर्यादा महोत्सव बृहत्तर मुम्बई में करने का भाव है। इसके साथ ही मुम्बई चतुर्मास की सम्पन्नता के बाद भी माघ शुक्ला सप्तमी तक बृहत्तर मुम्बई में रहने का भाव है। युगप्रधान आचार्यश्री की ऐसी कृपा पाकर मानों मायानगरी वासी प्रसन्नता से झूम उठे। उनका आंतरिक उल्लास और कृतज्ञ भाव उनके द्वारा उच्चरित बुलन्द जयघोष में स्पष्ट सुनाई दे रहा था। आचार्यश्री की इस घोषणा के संदर्भ में साध्वीप्रमुखाजी साध्वी विश्रुतविभाजी, मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी व साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने भी मुम्बई की जनता को उद्बोधित किया।