भायंदर। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वी श्री विद्यावतीजी ‘ द्वितीय’ ठाणा 5 के सान्निध्य में तेरापंथ के प्रणेता आचार्य भिक्षु का २२० वाँ चरमोत्सव मनाया गया। साध्वी श्रीजी द्वारा नमस्कार महामंत्र का उच्चारण करने के पश्चात् साध्वी श्री ऋद्धियशाजी ने भिक्षु अष्टकम् द्वारा मंगलाचरण किया। साध्वी श्री मृदुयशाजी ने वक्तव्य के माध्यम से श्रद्धा अभिव्यक्त की। साध्वी प्रेरणाश्रीजी ने कविता के द्वारा भाव प्रकट किये। इस अवसर पर भगवतीलालजी बागरेचा, दिनेशजी आच्छा तेरापंथ सभा के अध्यक्ष भगवतीलालजी भंडारी श्रीमती पुष्पा देवी लोढा, आदि महानुभावों ने आचार्य भिक्षु के प्रति विचार प्रकट किये। कार्यक्रम मे उपाध्यक्ष विजय जी बोकडिय़ा, कोषाध्यक्ष दिलीप जी बापना, जैन विद्या प्रभारी पारस जी कच्छारा, आध्यात्मिक उपासक परेश भंडारी, अरविंद जी हिगड, मदन जी राठौड़,अशोक जी पुगलिया आदि उपस्थित थे
शासन श्री साध्वी श्री विद्यावती जी ने कहा-आचार्य भिक्षु क्रांतिकारी पुरुष थे। वे प्रत्युत्पन्न मेघा के धनी एवं आचार निष्ठ थे। संयम पथ में अनेिवाले परीषहों को समभाव से सहन कर अद्भुत साहस का परिचय दिया है। अनेक संघर्षों’ को उन्होंने हंसते हंसते भेला है और वीरता का परिचय दिया है। पुनीत बेला में श्रीमती ममता लोढा एवं सुश्री आंचल भंडारी ने सोलह दिनों की तपस्या के प्रत्याख्यान किये। तपस्या के उपलक्ष में साध्वियों ने संगीत प्रस्तुत किया। कुलदीप लोढा ने भी गीत के माध्यम से भावांजली अर्पित की |
आचार्य भिक्षु के महाप्रयाण दिवस पर तेरह घंटों का अखण्ड जप चल रहा है एवं कई ‘भाई बहिन सवा लाख के जप में भी सक्रियता के साथ जुड़े हुए हैं। भिक्षुस्वामी के बहुआयामी व्यक्तित्व को उजागर करते किया। हुए साध्वी श्री प्रियंबदाजी ने कार्यक्रम का संचालन किया समाचार साभार अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज से भायंदर प्रतिनिधि पारस कच्छारा
भायंदर में भिक्षु चरमोत्सव का हुआ आयोजन
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