वसई। कार्यक्रम का प्रारंभ तेरापंथ कन्या मंडल वसई के द्वारा “आत्म साक्षात्कार प्रेक्षाध्यान के द्वारा” गीत के माध्यम से मंगलाचरण से हुआ। साध्वी प्रतीक प्रभा जी ने कहानी के माध्यम से समझाया कि अगर राजा ही भक्षक होगा तो राज्य कैसे चलेगा। विनय प्रभाजी जी ने अरिष्टनेमी के भव की विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत की।
साध्वी प्रज्ञाश्री जी ने फरमाया कि कल विजयोत्सव है और हमें भी अपनी इंद्रियों पर विजय पाकर अपने मन पर विजय पाना होगा और ऐसे ही विजयोत्सव मनाना होगा क्योंकि हमारे मन के अंदर अगर ईर्ष्या है तो ना हम सुखी रह सकते हैं और ना सामने वाले को सुखी रख सकते हैं।
इसके बाद साध्वी श्री जी ने भगवान महावीर के भवो की व्याख्या की जिसमें उन्होंने बताया कि मां त्रिशला अपने गर्भ का पालन सम्यक्त्व से करती है एवं प्रभु का जन्म अभिषेक 108 कलश लाकर किया गया भगवान का जन्म होते ही पूरे मनुष्य लोक में प्रकाश फैल गया
तत्पश्चात साध्वी श्री जी ने बताया कि आत्म ज्ञान होना आवश्यक है क्योंकि ज्ञान शाश्वत रहता है। प्रेक्षाध्यान को लेकर बताया कि हमें रोज 10 मिनट ध्यान करना चाहिए। उन्होंने ध्यान के अनेक प्रकारों की व्याख्या की जैसे कायोत्सर्ग, अनुप्रेक्षा , प्रेक्षाध्यान और श्वासप्रेक्षा आदि तपस्विनी बहन लक्ष्मीबाई सिंघवी पखवाड़ा लेकर आयी, उनके 15 की तपस्या का महिला मंडल वसई के द्वारा अभिनंदन किया गया।
वसई : पर्युषण का सातवां दिन ध्यान दिवस
Leave a comment
Leave a comment