बोईसर। पर्यूषण पर्व का चौथा दिन समता भवन बोईसर वाणी संयम दिवस के ऊपर श्रीमती मंजुला जी हिरण बताया ज्यादा बोलने से ऊर्जा नष्ट होती है जहां वाणी का संयम होता है वाह विवाद कम होता है। बंदूक से निकली गोली और मुंह से निकली बोली अपना काम करके ही वापस आती है इसके लिए अपने को अपनी वाणी को सोच समझकर बोलना चाहिए। उपसिका श्रीमती कांता जी ने अपने गीतिका के माध्यम से समझाया कहां पर बोलना है और कैसे बोलना है वाणी पर कैसे संयम रखा जाता है।
प्रवक्ता उपासीका श्रीमती चंदा जी वडाला ने बताया वाणी में मिठास होनी चाहिए हमेशा मधुर बोलना चाहिए शब्दों को कैसे बोला जाए हो सके तो दिन में एक दो घंटा मौन रखनी चाहिए। वाणी के शब्दों को अपने हिसाब से बोलने चाहिए। खाद्य संयम दिवस के ऊपर निधि जी खोखावत द्वारा सुंदर गीतिका की प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मंडल सभा, युवक परिषद, अणुव्रत समिति, किशोर मंडल, ज्ञानशाला, कन्या मंडल सबका सहयोग रहा। यह जानकारी जेटीएन प्रभारी चंद्र प्रकाश सोलंकी बोइसर ने दी।
बोइसरः वाणी संयम दिवस वाणी व्यक्तित्व का दर्पण है
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