विजयनगर। युग प्रधान आचार्य महाश्रमण जी के सुशिष्य विद्वान मुनि श्री रश्मि कुमार ने आज पर्युषण महापर्व के पांचवे दिन अणुव्रत चेतना दिवस के उपलक्ष में अपनी प्रवचन श्रृंखला में अपनी मधुर और सम्मोहन मन को लुभाने वाली वाणी में संकल्प एक हो की इंसान हम बने, और इंसान बन गए तो फिर भगवान भी हम बने गीतिका के पद्य से अणुव्रत के बारे में बताया की अगर हमारा संकल्प सुदृढ़ हो तो ऐसे छोटे छोटे व्रतों (नियमो) के पालन करने को ही अणुव्रत कहते हैं।
अणुव्रत नाम को जागृत एवं जन्मदाता तेरापंथ के नवम आचार्य गणाधिपति गुरुदेव तुलसी ही थे जिन्होंने इस अणुव्रत नाम की क्रांति पूरे विश्व में जन जन तक पहुंचने का कार्य किया।गुरुदेव तुलसी के संपर्क में आने वाले उच्च पदासीन अधिकारी, राजनेता प्रशासनिक राजकीय सेवा कर्मी सभी को अणुव्रती बना कर उन्हे अणुव्रत के नियमों से संकल्पित करवाया
मुनि श्री ने अणुव्रत नाम के महत्व को समझाते हुए फरमाया की
अ- का मतलब अथाह यानी गहरा
णु- का मतलब नुक्श, त्रुटियों गलती कमजोरी,
व- वशीकरण मंत्र
र – रक्षक
त – तरीका (सलीके से जीवन जीने का तरीका सीखना)
इन सभी शब्दो को मिला कर एक शब्द बना अणुव्रत अणुव्रत का मतलब आपके अंदर अथाह छिपी हुई कमियों गलतियों को दूर कर अच्छाइयों की तरफ आपको वशीकृत करके आपकी रक्षा करने का तरीका ही अणुव्रत कहलाता है। अभिमान खराब हे लेकिन आपमें स्वाभिमान होना चाहिए। मुनि श्री ने फरमाया की आपने अणुव्रत के नियमो का पालन करते है आपने उन छोटे छोटे व्रतों को स्वीकार करते हैं तो आप की पहचान एक विशिष्ट, सज्जन व्यक्ति के रूप में होती है ,अगर आपका चरित्र साफ सुथरा है तो आपकी समस्त बुराइयों से रक्षा होती है।
मुनि श्री ने महती कृपा कर धर्म सभा को शप्तकुपशद बुराइयों से दूर रहने का संकल्प दिलाया।
(1) जुआ नही खेलना या जूये की आदत से दूर रहना।
(2) मांस का सेवन नहीं करना अथवा अभक्ष्य पदार्थों से दूर रहना।
(3) शराब अथवा मादक (नशीले) पदार्थों का सेवन नहीं करना
(4) वेश्यावृति से से दूर रहना।
(5) शिकार नहीं करना किसी के साथ छल कपट नही करना।
(6) चोरी नही करना।
(7) परस्त्री गमन नही करना।
इन सभी नियमों का पालन कराते हुए मुनि श्री ने अणुव्रती बनने की प्रेरणा दी। मुनि श्री ने गुरुदेव तुलसी के जन्म मोहत्सव को अणुव्रत दिवस मनाने की जानकारी प्रदान की था पंचासवे जन्मदिन को विकास मोहत्सव के रूप में मनाया जाता है उसकी भी जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम की शुरुआत गांधीनगर बैंगलोर से पधारे हुए प्रेक्षा संगीत सुधा के मंगलाचरण हम अणुव्रती बनकर अपना जीवन उपवन सरसाए-युग को दे नई दिशाए सभा पूर्व अध्यक्ष श्री राजेश जी चावत सभा अध्यक्ष श्री प्रकाश जी गांधी ने सभी तपस्वी भाई बहिनों की सुखसाता की कामना करते हुए सभी के प्रति अनुमोदना के भाव प्रकट किए। तेरापंथ युवक परिषद् के उपाध्यक्ष विकास बांठिया , महिला मंडल उपाध्यक्षा महिमा जी पटावरी, कन्या मंडल से खुशी गांधी एवं अर्हम मित्र मंडल के मंत्री विनोद जी पारख ने सभी के प्रति अनुमोदना के भाव प्रकट किए । आज के इस पंचरंगी तप के कार्यक्रम में उपवास, बेला, तेला, चौला,पांचोला और उसके ऊपर की तपस्या करने वाले भाई बहिनों ने अपने नाम लिखाए जो मुनि श्री की प्रेरणा से ही संभव हो सका, करीब करीब तपस्वियों की सूची 150 से ऊपर की रही ।
मुनि श्री रश्मि कुमार जी की प्रेरणा से एक साथ 61 तपस्वियों ने किए पंचोला तप के प्रत्याख्यान
Leave a comment
Leave a comment