ठाणे। ठाणे तेरापंथ भवन में पर्युषण साधना उत्तरोत्तर प्रगती और गतिमान है। शासनश्री साध्वीश्री जिनरेखाजी की सरल और प्रभावी प्रवचन शैली और मधुर कंठ गायन सब को मन्त्रमुग्ध कर रहा है।सुबह प्रवचन और सायंकालीन कार्यक्रमों में श्रावको की संख्या वर्धमान है।
कोपरी महिला मंडल के मंगलाचरण संगान के साथ ही कार्यक्रम की शुरूवात हुई । स्वागत कोपरी तेयुप के अध्यक्ष पवन बाफना ने किया।बआज का धाराप्रवाह प्रवचन में साध्वीश्रीजी ने फरमाया
आत्मशुद्धि के लिये क्षमादान बहुत आवश्यक है।आत्मा का सच्चा धन ,अमूल्य रत्न सम्यक्त्व है।सत्य पर आस्था और विश्वास ही व्यक्ति के भीतर सम्यक्त्व के रूप में निहित होता है।
भगवान महावीर के पूर्वभावो की चर्चा में 18 से 26 भवो तक जानकारी दी।स्वरचित गीतिका बांधले गठरिया,ओढ़ धर्म की चदरिया का सुंदर संगान किया।
आज का केंद्र निर्धारित विषय पर साध्वीश्री श्वेतप्रभाजी ने प्रकाश डाला। बोलने की आवश्यकता जन-संपर्क और मानसिक विकल्पों के कारण होती है।मधुर और संयत वाणी से मनुष्य की पहचान होती है।तपस्या के क्रम में सुरभि परमार,निर्मला ओस्तवाल और आशिष नाहटा की बड़ी तपस्या प्रगतिशील है। चंदनबाला के 78 तेल हुए।आभार सभासह मंत्री नवरत्न गोखरू ने ज्ञापित किया
ठाणे: पर्यूषण महापर्व के चतुर्थ दिवस वाणी संयम दिवस का आयोजन
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